मनोरम तिर्रेमनोरमा
Aha Zindagi|December 2024
अपने प्राकृतिक स्वरूप, ऋषि-मुनियों के आश्रम, सरोवर और सुप्रसिद्ध मेले को लेकर चर्चित गोंडा ज़िले के तीर्थस्थल तिर्रेमनोरमा की बात ही निराली है।
अजय प्रताप तिवारी
मनोरम तिर्रेमनोरमा

गोंडा ज़िले के प्रमुख तीर्थस्थलों में शुमार तिर्रेमनोरमा/मनोरमा या मनवर प्राकृतिक सुषमा के लिहाज़ से दर्शनीय भी है। इस स्थान का वर्णन वेद-पुराणों और बौद्ध साहित्य में कई बार हुआ है। यहां कई ऋषि-मुनियों की तपोस्थली एवं समाधि स्थल भी हैं। मनवर नदी का उद्गम स्थल तिर्रेमनोरमा आस्था का केंद्र है। यह नदी 125 गांवों तक फैली हुई है। तिरेंमनोरमा से निकलकर यह मनकापुर से होती हुई, बढ़ते-बढ़ते विशाल रूप ले लेती है और आगे चलकर सरयू में समाहित हो जाती है। यह ऐतिहासिक स्थल लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है जहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णमासी पर मेले का आयोजन होता है।

ऋषि-मुनियों की भूमि

तिरेंमनोरमा उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा के मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर स्थित है। वर्तमान तिर्रेमनोरमा गांव को गोंडा नरेश और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महाराजा देवी बख्श सिंह ने बसाया था। इस जगह को लेकर पुरानी कहावत है कि 'जहां पर मन रमे वहीं मनोरमा और जहां मन का मांगा वर मिले वहीं मनवर'।

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