टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स, गायिका मारिया कैरी या फिर किम कार्दशियन आदि के बीच प्रसिद्ध होने के अलावा और क्या एक समानता है? अगर आप इनके बारे में पुरानी खबरों को जरा पलटकर देखेंगी तो पाएंगी कि इन सबने गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप यानी प्रीएक्लेम्पसिया का भी सामना किया है। प्रीएक्लेम्पसिया उच्च रक्तचाप का ही एक प्रकार है, जो सिर्फ गर्भावस्था के दौरान होता है। यह समस्या पूरी दुनिया में पांच से आठ प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को अपनी चपेट में लेती है, वहीं भारत में यह आंकड़ा थोड़ा ज्यादा है। यहां आठ से 10 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं इस समस्या की शिकार होती हैं और हर साल लगभग इस बीमारी के 10 लाख मामले दर्ज किए जाते हैं।
प्रीएक्लेम्पसिया सामान्य उच्च रक्तचाप से अलग है क्योंकि यह अमूमन गर्भावस्था के बीसवें सप्ताह यानी पांच माह के बाद होता है और कई मामलों में बच्चे के जन्म के कुछ दिन या कुछ सप्ताह बाद ठीक भी हो जाता है। यह समस्या गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए ही खतरनाक साबित हो सकती है।
क्या हैं लक्षण?
प्रीएक्लेम्पसिया गर्भावस्था से जुड़ी समस्या है। रक्तचाप का बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ होना, पेशाब में प्रोटीन की मात्रा का बढ़ जाना और शरीर के अन्य अंगों में किसी भी तरह का नुकसान नजर आना इस बीमारी के लक्षण हैं। यह भी संभव है कि आप में इनमें से कोई भी लक्षण नहीं हों और फिर भी आप इस बीमारी के जद में हों या इसकी शिकार हों । नेशनल एक्लेम्पसिया रजिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार प्रीएक्लेम्पसिया के 57 प्रतिशत मामलों में किसी भी तरह के लक्षण नजर नहीं आते हैं, ऐसे में नियमित डॉक्टरी जांच व टेस्ट काम आते हैं। अमूमन रुटीन चेकअप के दौरान डॉक्टर इस बीमारी के लक्षणों को पहचान पाने में सक्षम होते हैं। प्रीएक्लेम्पसिया की समय रहते पहचान के लिए ध्यान रखें कि आपमें उच्च रक्तचाप के अलावा इनमें से कोई और लक्षण तो नहीं?
• पेशाब में प्रोटीन की मात्रा का बढ़ा होना या किडनी की किसी अन्य बीमारी का लक्षण
• खून में प्लेटलेट्स का कम होना
• लिवर एंजाइम्स का बढ़ा होना
• सिर दर्द
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