सोशल मीडिया पर दलित कम्युनिटी अपनी प्रेजैंस दे रहा है. कम से कम इंटरनैट इस मामले में भेदभाव नहीं करता. आप किसी भी जाति, रंग, लिंग, क्षेत्र से हों, यदि आप के पास इंटरनैट है तो आप बराबर हैं. हर कोई अपनी आवाज उठा सकता है. अपने बारे में लिखबोल सकता है. ऐसे ही दलित कम्युनिटी अपने हक की बातें इंटरनैट के माध्यम से ग्लोबली पहुंचा रही है. कुछ प्लेटफौर्म्स इस काम को अंजाम दे रहे हैं.
दलित डैस्क
दलित डैस्क एक मीडिया प्लेटफौर्म है. दलित डैस्क अपने बारे में बताता है कि वह समाज की मार्जिनलाइज्ड कम्युनिटी की आवाज उठाता है, खासकर, दलित कम्युनिटी जिसे अतीत में हजारों साल दबाया गया और आज भी यह जारी है.
दलित डैस्क का मानना है कि हर कहानी सुनी जानी चाहिए, हर किसी को सुना जाना चाहिए, खासकर, उन्हें जिन्हें चुप करा दिया गया या इग्नोर कर दिया गया.
दलित डैस्क अपने काम को मिशन मान कर चलता है. उस का मिशन हाशिए पर मौजूद लोगों की आवाज को बढ़ाना, रूढ़ियों को चुनौती देना है.
दलित डैस्क अपनी वैबसाइट चलाता है, जिस में दलितों से जुड़ी राजनीतिक व सामाजिक रिपोर्ट डाली जाती हैं. इस के अलावा इंस्टाग्राम पेज है जहां वह खुद को इंट्रोड्यूस करता है - "अनसुनी आवाजों के लिए तेज, हाशिए से मुख्यधारा तक."
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