डिजिटल वर्ल्ड ने एक चीज तबीयत से की कि इंसान भले स्मार्ट हो या न, लेकिन स्मार्टफोन हर हाथ में जरूर हो. इस ने एक का दूसरे तक एक्सैस आसान कर दिया है. वह चाहे दिल्ली के वसंत कुंज जैसी पौश कालोनी में रहने वाली धृति हो या उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर इलाके के किसी कच्चे मकान में रहने वाली मालती चौहान.
लेकिन भूख चाहे जितनी हो, निवाला तो तभी निगला जा सकता है जब जबान उस की गरमाहट झेलने लायक हो जाए. कभीकभी डिजिटल वर्ल्ड की चकाचौंध की गिरफ्त में इन्फ्लुएंसर इसे भूल जाते हैं और उन की जबान जल ही जाती है.
ईंट-बदरपुर से बने कच्चे मकान में रहने वाली मालती चौहान, जिस ने गरीबी देखी, टूटी खाट, टपकती छत, बिखरे सपने और बेतरतीब जीवन देखा, ने बहुत कम समय ने में यूट्यूब इन्फ्लुएंसर के तौर पर खासा नाम भी कमाया. लेकिन इन सब के बावजूद मालती ऐसी उदाहरण बन गई जिसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कभी नहीं चाहेंगे कि उन के साथ भी ऐसा हो क्योंकि इसी नेम, फेम और चरमोत्कर्ष पर पहुंच कर उसे आखिरकार मौत को गले लगाना पड़ा.
यह पूरा खेल डिजिटल चकाचौंध, कमाई की भूख, नेम, फेम और नंबरों का था. महज 4 साल में ही गरीब परिवार की मालती ने अपने पति विष्णु राज के साथ यूट्यूब पर नाम कमा कमा लिया. दोनों की शादी 2020 में हुई थी. 6 मिलियन यानी 60 लाख से ऊपर फौलोअर्स बना लिए और चैनल में ढेरों देसी रील्स व वीडियो बना लिए.
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