राहुल बनाम ओबीसी
DASTAKTIMES|April 2023
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा और उसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द किए जाने के बाद कई गैर भाजपाई विपक्षी दल जो कांग्रेस से इत्तेफाक नहीं भी रखते थे, उनके नेताओं ने भी आगे आकर केन्द्र और भाजपा सरकार की आलोचना की। वहीं देश की जनभावना भी कमोबेश आनन-फानन में लिए गए सदस्यता रद्द करने के निर्णय से खुश नहीं दिखी। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों को यह लगा कि यह तो अपने ही गोल पोस्ट में गोल होता दिख रहा है। सो, उन्होंने नयी लाइन खींचते हुए राहुल की टिप्पणी को ओबीसी का अपमान करार दिया और देशभर में अपने नेताओं को जनता विशेषकर ओबीसी समाज के बीच यह तथ्य पहुंचाने की जिम्मेदारी रातों रात सौंप दी।
जितेन्द्र शुक्ला
राहुल बनाम ओबीसी

गुजरात के सूरत जिले की निचली अदालत ने भले ही राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दोषी पाया हो और उसके बाद दो साल की सजा भी सुना दी हो लेकिन जिस तेजी से उनकी लोकसभा की सदस्यता छीनी गयी, उसे लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। पहले तो केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा को भी लगा कि उसने एक बड़ा 'विकेट' गिरा दिया है लेकिन जब देशभर से मोदी सरकार के इस कदम के बाद जो प्रतिक्रियायें सामने आयीं, उसके बाद भाजपा ने पैंतरा बदल इसे अति पिछड़ी जातियों यानि ओबीसी का अपमान करार देकर राहुल गांधी और कांग्रेस को बैकफुट पर लाने का प्रयास किया। इतना ही नहीं, भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधने की भी रणनीति आनन-फानन में बना डाली। इसके तहत एक तो भाजपा ने कांग्रेस को ओबीसी विरोधी करार दिया वहीं स्वयं को ओबीसी का सबसे बड़ा और सच्चा हितैषी साबित करने में भी देर नहीं लगायी। यानि मानहानि से शुरू हुआ मुद्दा ओबीसी की तरफ जाता दिख रहा है। भाजपा की इस चाल से ओबीसी वोट बैंक पर राजनीति करने वाले कई क्षेत्रीय दलों को भी लपेटे में ले लिया। भाजपा अब देशभर में घूम-घूमकर राहुल गांधी की तो आलोचना करेगी ही, साथ ही इसी बहाने क्षेत्रीय छत्रपों को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है। इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान आया, जिसमें ओबीसी समाज के अपमान का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने बिना देर किए नड्डा के बयान पर पलटवार किया। वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार आदि प्रांतों के क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की। जिस तरह से भाजपा ने इस मुद्दे को दूसरी दिशा दी है उससे स्पष्ट होता है कि केन्द्र में लगातार तीसरी बार सत्ता में काबिज होने के लिए भाजपा के लिए ओबीसी वोट बैंक कितना मायने रखता है। 

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