राष्ट्रीय 'इण्डिया गठबंधन' सीटों के बंटवारे का 'जाल'
DASTAKTIMES|October 2023
सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस अपना वर्चस्व चाहती है। पहले भी कांग्रेस की मंशा का खुलासा हुआ था कि वह लोकसभा की 350 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। हालांकि विपक्षी गठबंधन में शामिल दल उसे इतनी सीटें देने के मूड में नहीं हैं, खासकर आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस। कांग्रेस या किस सहयोगी दल को कितनी सीटें मिलें, वह उस राज्य का बड़ा दल ही त करेगा। कांग्रेस भले ही सभी शेष 27 दलों को साध ले तो भी उसके खाते में डेढ़-दो सौ से अधिक सीटें नहीं आएंगी।
जितेन्द्र शुक्ल
राष्ट्रीय 'इण्डिया गठबंधन' सीटों के बंटवारे का 'जाल'

मशहूर शायर मुज्जमिल हुसैन का शेर है, ‘गैर मुमकिन है कि हालात की गुत्थी सुलझे, अहले दानिश ने बहुत सोच के उलझाया है।’ कमोवेश यही स्थिति ‘इण्डिया’ गठबंधन की है। मोदी विरोध में विपक्ष के 28 दल एक मंच पर तो आ गये लेकिन जब बात सीटों के बंटवारे की आयी तो सभी अपने-अपने हिसाब से तन कर खड़े हो गए दिखते हैं। वास्तव में विपक्षी दलों के एकजुट होने के बाद अब उनके सामने सबसे बड़ी समस्या सीटों के बंटवारे को लेकर आ रही है। गठबंधन में शामिल हर दल बढ़ा-चढ़ा कर सीटों की मांग रहे हैं। आप और टीएमसी जैसी पार्टियां सीटों के बंटवारे में अपने शासन वाले राज्यों में एकाधिकार चाह रही हैं। कांग्रेस शासित कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विपक्षी गठबंधन के घटक दल कांग्रेस को अपनी ही जैसी छूट देने के पक्षधर हैं। कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व करने का उत्सुक है। ऐसे में सीट बंटवारे पर आसानी से बात बनने की संभावना नहीं है। इसलिए कांग्रेस चाहेगी कि इस साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही सीटों के बंटवारे पर बात आगे बढ़े। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद ही देश में विपक्षी एकता की बात आगे बढ़ी थी। कांग्रेस के प्रति विपक्षी दलों का नजरिया भी बदला था। इसलिए कांग्रेस भी चाहेगी कि सीटों के बंटवारे पर मंथन भले जारी रहे, लेकिन अंतिम निर्णय इस साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही लिया जाए। मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में लोकसभा चुनाव के पहले इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं।

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