■ 2024 लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की हैट्रिक की संभावना बढ़ी, मोदी की लोकप्रियता इंडिया गठबंधन के लिए खतरा
■ सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस से भिड़ेंगी कई पार्टियां, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, एमपी में होगी बड़ी समस्या
2023 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक खूब चला है। पीएम मोदी की गारंटी पर भरोसा करने का ही नतीजा रहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत दर्ज की। इन राज्यों की जीत से प्रधानमंत्री मोदी के लिए 2024 लोकसभा चुनाव की राह आसान होगी। वहीं, कांग्रेस व 'इंडिया' गठबंधन के लिए यह चुनावी नतीजे किसी सदमें से कम नहीं होंगे। भाजपा के हाथों तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद 'इंडिया' गठबंधन में आने वाले दिनों में घमासान देखने को मिलने की उम्मीद है।
दरअसल, कांग्रेस पूरी तरह आश्वस्त थी कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना में उसकी सरकार बनेगी। जबकि, राजस्थान को लेकर भी चुनावी अंतिम दौर में कांग्रेस जीत के दावे करने लगी थी। चुनावी नतीजों के अनुरूप कांग्रेस को तेलंगाना में जीत तो मिल गई, लेकिन अन्य तीन राज्यों में मुंह की खानी पड़ी।
यहां पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विश्वास जताकर भाजपा को वोट दिये गये। इससे यह तो स्पष्ट है कि जनता में आज भी पीएम नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा लोकप्रिय बने हुए हैं। इससे भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड जीत की उम्मीद है।
दूसरी ओर, इन चुनावी नतीजों से इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की चिंता बढ़ेंगी। इंडिया गठबंधन ने 6 दिसंबर को दिल्ली में बड़ी बैठक बुलाई है। कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद अब गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर भी घमासान देखने को मिल सकती है।
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आईपीएल 2025 के मेगा ऑक्शन में इस बार कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। टीम इंडिया के सुपरस्टार प्लेयर ऋषभ पंत आईपीएल के नये महाराज बन गये। पंत को लखनऊ सुपर जाएंट्स ने अपनी टीम का हिस्सा बनाने के लिए 27 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, जिससे वह ऑक्शन के इतिहास में सबसे महंगे प्लेयर बन गए। ऋषभ पंत का दमदार प्रदर्शन उनकी छप्पड़फाड़ सैलरी की वजह बना।
प्रकृति, संस्कृति और स्त्री का बहुआयामी विमर्श
स्त्री चेतना, पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सुप्रतिष्ठित लेखिका आकांक्षा यादव के आलेखों का संग्रह 'प्रकृति, संस्कृति और स्त्री' को पढ़ते हुए जहां हम विषयवार उनके विचारों, विवरणों और विवेचनों से प्रभावित होते हैं, वहीं हम निबंध विधा के महत्व को भी जान पाते हैं।
जन-गण-मन का भाग्य विधाता है संविधान
भारतीय गणतंत्र अमर है लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है। न्यायपालिका संविधान की जिम्मेदार संरक्षक है। न्यायपीठ ने प्रशंसनीय फैसले किए हैं। अदालतों में लंबित लाखों मुकदमे 'न्याय में देरी से अन्याय के सिद्धांत' की गिरफ्त में हैं। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति का स्वातंत्र्य देता है। अनुच्छेद 20 अन्य बातों के अलावा, 'किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को अपने ही विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य करने से रोकता' है।
संकट में पाकिस्तानी शिया
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डिजिटल अरेस्ट डर के आगे हार!
आज के युग में मोबाइल या लैपटॉप आम आदमी के जीवन में काफी प्रसांगिक ये हैं। लेकिन डिजिटल विकास तमाम खूबियां के साथ कुछ खामियां भी लाया है। सात समुंदर पार बैठा शख्स भी किसी से नजदीकियां बढ़ा सकता है, लेकिन इस शख्स की सोच के बारे में कोई डिवाइस नहीं बता सकती है कि वह किस श्रेणी का इंसान है। यहीं से साइबर क्राइम की शुरुआत होती है।
शीतकालीन चारधाम यात्रा में भी गुलजार होगी देवभूमि
शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।
कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।
प्रदूषण से सांसत में जान
दिल्ली राजधानी क्षेत्र में आजकल हवा में पीएम 10 का स्तर 318 और पीएम 2.5 का स्तर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है जिसके फिलहाल कम होने की उम्मीद बेमानी है। जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम ही उचित माना जाता है। खतरनाक स्थिति यह है कि दिल्ली के आसमान पर अब धुंध की परत साफ दिखाई दे रही है।
पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।