आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने महासागरों के वैज्ञानिक अध्ययन और चक्रवातों पर नजर रखने के लिए तीसरी पीढ़ी के ओशनसैट सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया. इसरो ने 44.4 मीटर लंबे अपने विश्वसनीय पीएसएलवी-54 रॉकेट से ईओएस - 06 मिशन के तहत कुल 321 टन भार के साथ उड़ान भरी और ओशनसैट-3 सैटेलाइट के अलावा भूटान के एक उपग्रह सहित 8 नैनो उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया. इस वर्ष का इसरो का यह पांचवां और आखिरी मिशन था, जो वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सबसे लंबे समय तक चलने वाले मिशनों में से एक था. इसरो के पीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल) रॉकेट का यह 54वां तथा पीएसएलवी-एक्सएल प्रारूप का 24वां मिशन था, इसीलिए इसरो द्वारा अपने इस मिशन को पीएसलीवी सी-54 नाम दिया गया.
पीएसएलवी-54 के जरिये ओशनसैट-3 के अलावा प्रक्षेपित किए गए आठ लघु उपग्रहों में भूटान के खास रिमोट सेंसिंग भूटानसैट सहित बेंगलुरू आधारित निजी कम्पनी पिक्सेल द्वारा निर्मित उपग्रह 'आनंद', हैदराबाद की निजी स्पेस कम्पनी ध्रुव द्वारा निर्मित दो थायबोल्ट उपग्रह, स्पेसफ्लाइट और यूएसए के चार एस्ट्रोकास्ट उपग्रह शामिल थे. करीब एक हजार किलोग्राम वजनी ओशनसैट-3 सैटेलाइट को इसरो ने 'अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट-6' (ईओएस-06) नाम दिया है और ईओएस-06 तथा 8 नैनो उपग्रहों का कुल वजन 1117 किलोग्राम था. पीएसएलवी-सी54 ने ईओएस-06 को पृथ्वी से 742 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी कक्षा में प्रक्षेपण के बाद 17 मिनट में पहुंचाया और अन्य सभी 8 उपग्रह भी अपनी निर्धारित कक्षाओं में करीब 528 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थापित किए गए तथा कुल दो घंटे के उड़ान समय में मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ. इसरो के लिए यह मिशन बेहद खास इसलिए था क्योंकि इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार दो कक्षाओं में उपग्रह प्रक्षेपित किए गए, जिसमें ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (ओसीटी) उपयोग हुए. ओशनसैट को 742 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचाने के बाद पीएसएलवी-सी54 रॉकेट को नीचे की ओर लाया गया और बाकी 8 उपग्रह 513 से 528 किलोमीटर पर स्थापित किए गए.
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