![बिजनेस की संजीदा पढ़ाई बिजनेस की संजीदा पढ़ाई](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1668166904/articles/1Cs93lsCF1668428232848/1668428489673.jpg)
भारत में 3,000 से ज्यादा बी-स्कूल हर साल 3,00,000 से ज्यादा मैनेजमेंट ग्रेजुएट तैयार करते हैं. मगर कई सर्वे और अनुमानों से अक्सर पता चला कि इनमें से 20 फीसद से भी कम रोजगार लायक होते हैं. बीते दो साल महामारी के कारण शिक्षा चक्र में बाधा आई और कई संस्थानों के गुणात्मक नतीजों पर बहुत बुरा असर पड़ा. कोरोना वायरस के हमले से आमूलचूल बदल चुकी नई उभरती दुनिया में डिजिटल साधनों के चलते कई इनसानी हुनर बेकार हो गए या मौजूदा हुनरों में लगातार नवाचार और मूल्य संवर्धन की जरूरत आन पड़ी. इससे शिक्षा संस्थानों को नई सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रासंगिक और योग्य मानवीय संसाधन तैयार करने की लगातार बढ़ती मुश्किलों और नई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है.
इस संदर्भ में इंडिया टुडे-एमजीएमआर बेस्ट बिजनेस स्कूल सर्वे के नतीजों ने और भी ज्यादा अहमियत अख्तियार कर ली है. बिजनेस शिक्षा की बढ़ती लागत और मौजूद हुनर के साथ रोजगार की घटती गुंजाइश के बीच छात्रों को यह जानना-समझना होता है कि उन्हें काम के विकसित हो रहे माहौल के लिए तैयार करने वाली शिक्षण कला का विजन और इन्फ्रास्ट्रक्चर किन संस्थानों के पास है. बेस्ट बी-स्कूलों ने दिखाया है कि भावी चुनौतियों को लेकर वे सजग और सतर्क हैं.
हैरानी नहीं कि पारंपरिक तौर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले संस्थानों ने इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट बिजनेस स्कूल सर्वे के 2022 के संस्करण में भी अपने मजबूत गढ़ बरकरार रखे. इस सर्वे में 281 संस्थाओं ने हिस्सा लिया. पिछले साल के प्रदर्शन को जारी रखते हुए भारतीय प्रबंधन संस्थान कलकत्ता एक बार फिर देश का नंबर 1 बी-स्कूल बनकर उभरा, जिसके बाद भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद नंबर 2 और भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर नंबर 3 पर हैं. शीर्ष 10 जगहों में से पांच पर आइआइएम विराजमान हैं. निजी संस्थानों में एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च (एसपीजेआइएमआर) ने पिछले साल की अपनी नंबर 1 स्थिति बरकरार रखी और कुल रैंकिंग में पांचवीं पायदान पर आया. सर्वे की शीर्ष 10 रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ, जबकि अगले 50 में कुछ छोटे-मोटे हेर-फेर हुए.
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विकास की कशमकश
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उथल-पुथल का आलम
सामाजिक-राजनैतिक सुधारों के लिए सरकार को मजबूत समर्थन मिल रहा मगर लोकतंत्र, धार्मिक ध्रुवीकरण और महिला सुरक्षा को लेकर चल रही खदबदाहट से इससे जुड़ी चिंताएं उजागर