![मुख्य वार्ताकार मुख्य वार्ताकार](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1682078689/articles/Yl8Vtjg1c1682091050364/1682091395243.jpg)
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) सुप्रीमो नीतीश कुमार को गरमागरम चाय की चुस्की लेना बहुत पसंद है. वे चाय में एक निश्चित मात्रा में शक्कर पसंद करते हैं- सिर्फ एक चौथाई चम्मच. इससे "एक चुटकी भी अधिक नहीं" क्योंकि, उनका मानना है कि इससे ज्यादा शक्कर से चायका मजा खराब हो जाता है. उम्मीद की जा सकती है कि वह कुशलता जो चाय के सभी अवयवों के बीच परफेक्ट समिश्रण बना के सही जायका सुनिश्चित करती है, वही कौशल उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों से एक साल पहले उस खौलते हुए कड़ाहे में जिसमें विपक्ष के सभी दल निहित हैं, भी सही मिश्रण बनाने में मदद करेगी.
12 अप्रैल को, नीतीश अपने डिप्टी सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ बंद कमरे में बैठक के लिए नई दिल्ली में थे. जैसा कि उन्होंने बताया कि इस मुलाकात का लक्ष्य 2024 के चुनाव से पहले "विपक्षी दलों का यथासंभव विशाल गठबंधन" खड़ा करना है ताकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बेदखल किया जा सके.
सारी पार्टियों के बीच वैचारिक स्तर पर जितनी भिन्नता है, उसे देखते हुए यह एक बहुत बड़ा और चुनौतीपूर्ण काम होने वाला है. इसलिए काम का बंटवारा कर दिया गया है. खड़गे शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उद्धव ठाकरे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री डीएमके के एम. के. स्टालिन और समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने की कोशिश करेंगे तो नीतीश को कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम सौंपा गया है-उन पार्टियों को साथ लाना जो कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने में सहज नहीं हैं.
नीतीश का मुख्य लक्ष्य बड़े विपक्षी खेमे में चार प्रमुख खिलाड़ियों को शामिल करना है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) और के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) क्रमश: पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पंजाब और तेलंगाना में सत्ता में हैं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में एक मजबूत विपक्षी ताकत हैं. इन पांच राज्यों में लोकसभा की कुल 159 सीटें हैं. यानी निचले सदन की कुल सीटों का लगभग 30 प्रतिशत फिलहाल, उनमें से 94 यानी लगभग 60 प्रतिशत पर भाजपा का कब्जा है.
Esta historia es de la edición May 03, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición May 03, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
![तन्हाई में तारों से बातें तन्हाई में तारों से बातें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/KkYi-s4Uf1739799502351/1739799613388.jpg)
तन्हाई में तारों से बातें
पूर्वा नरेश ने दोस्तोएव्स्की की कहानी व्हाइट नाइट्स के अपने म्यूजिकल रूपांतरण चांदनी रातें में नौटंकी शैली का उपयोग किया
![धुरंधरों के साथ नए चेहरे भी धुरंधरों के साथ नए चेहरे भी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/qNiEvMoj_1739798778622/1739799025940.jpg)
धुरंधरों के साथ नए चेहरे भी
विश्व शतरंज चैंपियन डी. गुकेश और पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वालीं तीरअंदाज शीतल देवी लोगों की नई पसंद हैं. पुरुष-महिला क्रिकेटर तो खैर शीर्ष पर हैं ही. सिंधु और नीरज भी अपनी सूची में दूसरों से काफी आगे रहते हुए चोटी पर
![पक्ष में सबसे ज्यादा योग पक्ष में सबसे ज्यादा योग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/1KjgoeYER1739797917636/1739798047739.jpg)
पक्ष में सबसे ज्यादा योग
आठ साल से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज योगी आदित्यनाथ ने लगातार 10वीं बार सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री का दर्जा हासिल कर दर्शा दिया है कि देशभर में उनकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं
![कुछ तो पक रहा है कुछ तो पक रहा है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/LTVA_wBh-1739799397242/1739799499364.jpg)
कुछ तो पक रहा है
अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा ने फिल्म मिसेज में दमदार काम किया है, जो 2021 की मलयालम फिल्म द ग्रेट इंडियन किचन की हिंदी रीमेक है
![अब पंजाब की पहरेदारी अब पंजाब की पहरेदारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/8XJdjA3wB1739796311485/1739796457045.jpg)
अब पंजाब की पहरेदारी
अरविंद केजरीवाल के लिए सवाल यह नहीं है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) का भविष्य है या नहीं. उनके लिए प्रश्न यह है कि पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में एक आइडिया के रूप में प्रासंगिक रहेगी या नहीं. दिल्ली में पार्टी की हार के तीन दिन बाद 11 फरवरी को मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब के 95 में से 86 आप विधायकों के साथ उनकी आधे घंटे बैठक हुई. माना जाता है कि इसमें केजरीवाल ने बताया कि पार्टी के भविष्य को लेकर उनके मन में क्या है.
![चौकन्ना रहने की जरूरत चौकन्ना रहने की जरूरत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/EZZRCWmXZ1739798370280/1739798495822.jpg)
चौकन्ना रहने की जरूरत
आम तौर पर मोदी सरकार की विदेश नीति लोगों को पसंद आती है लेकिन कई लोगों का मानना है कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते खराब हुए हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा पर भारत की प्रतिक्रिया को लेकर भी लोग फिक्रमंद
![हमारे गेहुंएपन का स्वीकार हमारे गेहुंएपन का स्वीकार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/LlGFceKe51739799217629/1739799396270.jpg)
हमारे गेहुंएपन का स्वीकार
एक मजहब का धर्म रु चुनने की प्रक्रिया के बहाने हमें सहिष्णुता और स्वीकार के सार्वभौमिक धर्म की सीख दे जाती है एडवर्ड बर्गर की कॉन्क्लेव
![भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/3573rr2xc1739796211678/1739796309010.jpg)
भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 फरवरी को जब भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे तो उनका उत्साह हमेशा के मुकाबले एक अलग ही मुकाम पर था.
![विकास की कशमकश विकास की कशमकश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/NSBwWnhnm1739797282517/1739797660783.jpg)
विकास की कशमकश
एक ओर जहां कमजोर मांग, कम निवेश और दुनियाभर में अनिश्चितता की वजह से भारत की वृद्धि पर असर पड़ रहा है, वहीं आसमान छूती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी कर में मिली राहत को ढक रही है. इन सबकी वजह से आम आदमी का संघर्ष और आर्थिक परेशानियां बढ़ रहीं
![उथल-पुथल का आलम उथल-पुथल का आलम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1997604/R77_jKKQS1739798498314/1739798692561.jpg)
उथल-पुथल का आलम
सामाजिक-राजनैतिक सुधारों के लिए सरकार को मजबूत समर्थन मिल रहा मगर लोकतंत्र, धार्मिक ध्रुवीकरण और महिला सुरक्षा को लेकर चल रही खदबदाहट से इससे जुड़ी चिंताएं उजागर