बीते चार वर्षों में देश के व्यापार और वाणिज्य के लिए माहौल जिस कदर प्रतिकूल रहा, वैसा पहले शायद ही कभी देखा गया था. व्यापार को महामारी से बड़ा झटका लगा. उसके बाद फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले से एक बार फिर भू-राजनीतिक हालात अस्थिर हो गए जबकि व्यापार की मजबूती के लिए स्थिरता पूर्व शर्त की तरह है. हालांकि निर्यात की प्रक्रिया को सरल बनाने समेत केंद्र की कई नीतियों से भारत को न सिर्फ मुश्किल हालात में टिके रहने में मदद मिली, बल्कि समग्र निर्यात में खासी बढ़ोतरी हुई.
देश का कुल निर्यात 14 प्रतिशत बढ़ा और 2022-23 में तकरीबन 64 लाख करोड़ रु. (770 अरब डॉलर) के रिकॉर्ड पर पहुंच गया. इसमें सेवा क्षेत्र के निर्यात में हुई बढ़ोतरी का बड़ा योगदान है. इस बीच, व्यापारिक निर्यात 6 फीसद बढ़कर 37 लाख करोड़ रु. (447 अरब डॉलर) हो गया जो नई बुलंदी है. लेकिन पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत में जैसी उम्मीद थी, उससे यह कम है. 2022-23 में इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में भी 50 फीसद की बढ़ोतरी हुई. देश दवाओं, कारों, मशीन के पुर्जों, कपड़ों और खाद्य उत्पादों के मामले में रूस का प्रमुख निर्यातक बन रहा है. रूस भी भारत को कच्चे तेल के निर्यात में पश्चिम एशियाई देशों से आगे हो गया है. रूस से देश में कच्चे तेल का आयात फरवरी 2023 में 27 फीसद हो गया, जो अप्रैल 2022 में सिर्फ 6 फीसद के आसपास था. अनुमान है कि भारत-रूस व्यापार 2022-23 में रिकॉर्ड 3.3 लाख करोड़ रु. (39.8 अरब डॉलर) को छू सकता है.
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