इसी राज्य से आने वाले प्रधान ने हालांकि यह साफ नहीं किया था कि वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या विधानसभा, लेकिन 21 जून को मीडिया के एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ किया कि वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. इस तरह खुलकर चुनाव लड़ने की मंशा भले ही सिर्फ प्रधान ने जताई हो पर तथ्य यह है कि खुद पार्टी अपने दूसरे राज्यसभा सांसदों को अगला लोकसभा चुनाव लड़ाने की रणनीति पर काम कर रही है.
इस कवायद के दौरान भी उन मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारने पर अधिक जोर रहेगा जो लगातार दो कार्यकाल से राज्यसभा में हैं. पार्टी को लगता है कि मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारने से उसकी 'पक्की जीत' वाली सीटों की संख्या बढ़ेगी. दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा ने सीमित स्तर पर यह प्रयोग किया था. पिछले लोकसभा चुनाव में राज्यसभा सांसद के तौर पर केंद्र में मंत्री रहीं स्मृति ईरानी को उत्तर प्रदेश के अमेठी से, रविशंकर प्रसाद को बिहार के पटना साहिब से, हरदीप पुरी को पंजाब के अमृतसर से और के. जे. अल्फॉन्स को केरल के एर्नाकुलम से पार्टी ने लोकसभा चुनाव में उतारा था. इस बार भाजपा अपनी इस रणनीति को और विस्तार देने की योजना पर काम कर रही है. इस बारे में पार्टी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी कहते हैं, “पार्टी का शीर्ष नेतृत्व 2019 के 303 सीटों पर जीत के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इसके लिए यह जरूरी है कि केंद्र में मंत्री रहकर अपनी पहचान बनाने वाले नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतारकर अधिक से अधिक सीटों को जीतने की कोशिश की जाए." इसी बात को आगे बढ़ाते हुए वे यह दावा भी करते हैं वे कि ये मंत्री जिन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, पार्टी को उसके आसपास की सीटों पर भी इससे फायदा मिलेगा.
इस पूरे मामले में, भाजपा के एक अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारी दूसरा रोचक आयाम जोड़ते हैं. उनका इशारा दरअसल विपक्ष की शुरू हुई गोलबंदी की ओर है. उन्हीं के शब्दों में, "इस तरह की गोलबंदी में हर राज्य में कुछ ऐसी सीटें होंगी, जहां से अलग-अलग विपक्षी पार्टियों के प्रमुख नेता चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में अगर भाजपा केंद्र में मंत्री रहे राज्यसभा के कुछ सांसदों को चुनावी मैदान में उतारती है तो इन विपक्षी नेताओं को उनकी सीटों पर चुनौती देने के मामले में ये बेहतर स्थिति में रहेंगे."
Esta historia es de la edición July 12, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición July 12, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही