बहुत कम होता है कि नोएडा पुलिस शामियाना लगाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करे. 1 जून, 2023 की तपती दोपहर में नोएडा के सेक्टर 20 थाने के भीतर पुलिस मीडिया ब्रीफिंग के लिए शामियाना और कुर्सियां लगकर तैयार थीं. मंच पर लंबी-सी टेबल पर दर्जनों कंप्यूटर, लैपटॉप, लाखों रुपए की नकदी और आधार-पैन कार्ड से भरे पारदर्शी प्लास्टिक के डिब्बे रखे हुए थे. पत्रकार किसी बड़े गिरोह के पकड़े जाने का अनुमान लगा रहे थे लेकिन गिरोह इतना बड़ा होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था. नोएडा की पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह और एडिशनल डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने जो कहानी बताई, उससे वहां मौजूद हर पत्रकार को एकबारगी खुद अपने पैन कार्ड, आधार कार्ड की सुरक्षा की चिंता सताने लगी. पुलिस अफसरों ने जीएसटी (गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स या माल और सेवा कर) की धोखाधड़ी करने वाले देश के सबसे बड़े जीएसटी फ्रॉड गैंग का भंडाफोड़ किया था. यह आम लोगों के पैन कार्ड और दस्तावेज हासिल कर उनके नाम पर फर्म का जीएसटी रजिस्ट्रेशन कर सरकार को कथित तौर पर हजारों करोड़ रुपए का चूना लगा रहा था.
सचाई तो यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद से ही इसमें फर्जीवाड़े शुरू हो गए थे. बजट सत्र में संसद को बताया कि 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से फरवरी 2023 तक देशभर में 3 लाख करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी हो चुकी है. विभिन्न राज्यों में गिरोह पकड़े जा चुके हैं. लेकिन इन सबमें सबसे बड़ा जीएसटी फ्रॉड नोएडा पुलिस ने दिल्ली से पकड़ा. यह गिरोह दो हिस्सों में सक्रिय था. एक हिस्सा लोगों के दस्तावेजों से धोखाधड़ी करके जीएसटी रजिस्ट्रेशन करता और फर्म बनाता था. उसके बाद यह फर्म दूसरी टीम को बेच देता था. यह दूसरी टीम ही उस फर्जी फर्म से कागजी लेनदेन के जरिए सरकार को चूना लगाती थी (देखें: कैसे चुराए पैनआधार). पुलिस को शुरुआती अनुमान से ही घोटाला 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का लगा. लक्ष्मी सिंह कहती हैं, "यह गिरोह हर महीने अरबों रुपए का स्कैम करता था. जीएसटी के अधिकारियों को इसकी सूचना दी जा चुकी है. यह गैंग बहुत बड़ा है."
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