मगर संगठन से जुड़े कदमों की हलचल भरी घोषणाओं के बावजूद उसकी रणनीति के केंद्र में खाली एक शून्य छोड़ दिया गया है. वह है नेतृत्व का सवाल. इसके इर्द-गिर्द अनिर्णय में चक्कर लगाते हुए पार्टी इस साल के आखिर में कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दूसरी जीत हासिल करने से रोकने के लिए वह सब कर रही है जो सकती है. पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने 16 जुलाई को जयपुर में कार्यकर्ताओं की रैली को संबोधित किया. यह तीन हफ्तों से कम वक्त में उनकी दूसरी रैली थी. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष बीकानेर, उदयपुर और सवाई माधोपुर में कार्यक्रमों में शामिल रहे.
इसी के साथ, भाजपा दिसंबर में होने वाले चुनावी मुकाबले के सुर-ताल दुरुस्त कर रही है. गहलोत सरकार को टक्कर देना उसकी रणनीति के केंद्र में सबसे आगे है. तंज भरा प्रचार गीत 'गहलोत जी, कोनी मिले वोट जी' चारों तरफ छाया है. जब नड्डा जयपुर की रैली को संबोधित कर रहे थे, 'नहीं सहेगा राजस्थान' नारा सारे दिन सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा. वहीं मोदी ने 8 जुलाई को अपनी बीकानेर रैली में राहुल गांधी की एक पंक्ति को अदलबदलकर कांग्रेस की हुकूमत को 'लूट की दुकान और 'झूठ का बाजार' करार दिया.
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