वर्ष 2003 में यहां राजेंद्र गुढ़ा के छोटे भाई रणवीर ने लोक जन शक्ति पार्टी का परचम लहराया था तो 2008 में परिसीमन के बाद बदले हालात में राजेंद्र गुढ़ा ने यह सीट बसपा की झोली में डाल दी. 2008 में इस सीट का नाम गुढ़ा की जगह उदयपुरवाटी हो गया. 2008 में कांग्रेस 96 के आंकड़े पर अटक गई तो गुढ़ा ने बसपा के छह विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल होकर अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई. दस साल बाद 2018 में एक बार फिर वैसा ही सियासी परिदृश्य बना. 2018 में कांग्रेस 99 के आंकड़े पर अटक गई तो उदयपुरवाटी से बसपा के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए गुढ़ा ने बसपा के छह विधायकों के साथ समर्थन देकर कांग्रेस की फिर सरकार बनवाई. दोनों बार गुढ़ा को होमगार्ड विभाग का राज्यमंत्री पद इनाम में मिला.
पर 2018 में गुढ़ा कहीं बेहतर महकमा चाहते थे. चार साल तक भी उम्मीद पूरी न हुई तो गुढ़ा अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत कर बैठे. कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले 15 मई को सचिन पायलट के मंच पर पहुंचकर उन्होंने गहलोत सरकार पर जमकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. और 22 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में उन्होंने मणिपुर की तुलना राजस्थान के महिला अपराधों से कर दी, जिसे बाद वे कांग्रेस से बरखास्त कर दिए गए. तिलमिलाए गुढ़ा गहलोत सरकार के खिलाफ 'लाल डायरी' का शिगूफा लेकर आ गए. फिर उन्होंने 9 सितंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना (शिंदे गुट) का दामन थाम लिया.
पिछले 33 साल से राजस्थान में चुनाव लड़ रही शिवसेना इस बार गुढ़ा के जरिए राज्य अपना खाता खोलना चाहती है. गुढ़ा को उम्मीद है कि महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा गठबंधन के नाते भाजपा उदयपुरवाटी में उनके सामने कोई प्रत्याशी नहीं उतरेगी.
दरअसल, राजस्थान की राजनीति में 1980 से लेकर 1990 तक छोटी पार्टियों का अच्छा-खासा दबदबा रहा है लेकिन उसके बाद यहां कांग्रेस और भाजपा के अलावा कोई और पार्टी जमीन बना नहीं पाई है. 1990 में राजस्थान में पहली बार भाजपा और जनता दल के गठजोड़ से भैरोंसिंह शेखावत की सरकार बनी थी. तब जनता दल के पास 55 विधायक थे और कांग्रेस के पास 50 तीन साल बाद 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल छह सीटों पर सिमट गया.
Esta historia es de la edición September 27, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición September 27, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.