पुणे के सोहिल कपाड़िया को पिछले साल शिंगल्स या दाद होने तक पता भी नहीं था कि यह किस बला का नाम है. 68 बरस के ये सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर तंदुरुस्त थे, और बीमारियों का उनका कोई इतिहास नहीं था. इतना कमजोर उन्होंने कभी महसूस नहीं किया था-कोविड से भी नहीं. कपाड़िया कहते हैं, “लगता था मानो पूरा बदन जल रहा है. नसों में तेज दर्द की वजह से छह महीने मैं ठीक से खा भी नहीं सका. " वे ज्यादा फिक्रमंद इस बात से हैं कि इस दौर के बाद उन्हें फिर शिंगल्स हो सकता है.
शिंगल्स या दाद वायरल संक्रमण है, जो वैरिसेला-जॉस्टर वायरस से होता है. यह वही वायरस है जिससे चिकनपॉक्स या चेचक होती है. मैक्स हेल्थकेयर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा कहते हैं, “चेचक होने के बाद वायरस सारी जिंदगी आपके शरीर में रहता है, और सालों बाद फिर सक्रिय होकर तंत्रिका मार्ग से घूमता हुआ त्वचा तक आ सकता है, और दर्दनाक दाने पैदा कर सकता है, जो आम तौर पर आपके धड़ की दाईं या बाईं तरफ फफोलों की पट्टी की तरह दिखते हैं." अपने इन्हीं लक्षणों के कारण मेडिकल जबान में हर्पीज जॉस्टर कहे जाने वाले शिंगल्स या दाद को भारत में बोलचाल की भाषा के अपने नाम मिले–नागिन, ब्रह्मसूत्री, और जनेऊ.
इंडियन पीडीएट्रिक पत्रिका में साल 2000 में छपी स्टडी के मुताबिक, 40 साल से ऊपर के 90 फीसद भारतीय अपने शरीर में वैरिसेला-जॉस्टर वायरस है और इसलिए इस बीमारी के संक्रमण का जोखिम लिए घूमते हैं. वैश्विक अनुमान के मुताबिक, इस वायरस के वाहक हर तीसरे शख्स को अपने जीवनकाल में सामान्यत: दाद होता है. दाद जनस्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है, खासकर बाद की जटिलताओं के कार जो जीवन की गुणवत्ता और लंबी उम्र पर गहरा असर डाल सकती हैं. बाद की इन जटिलताओं में चकत्तों के फीका पड़ने के बाद नसों और त्वचा में तीखा दर्द शामिल है, जिसे पोस्ट-हर्पेटिक न्यूरैल्जिया (पीएचएन) यानी हर्पीज के बाद नसों का दर्द कहा जाता है. अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रीवेंशन (सीएडी) के मुताबिक, शिंगल्स आम तौर पर 50 से ऊपर की उम्र के लोगों को होता है, वहीं 60 से ऊपर के लोगों को पीएचएन विकसित होने का जोखिम 30 फीसद ज्यादा होता है. इसका सीधा इलाज नहीं है. मुख्यत: लक्षणों का इलाज किया जाता है, उसकी जड़ का नहीं.
Esta historia es de la edición October 18, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición October 18, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"