फरवरी, 2022 में शुरू हुए यूक्रेन पर रूसी हमले का असर झेल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इज्राएल-हमास युद्ध नई चुनौती बनकर आया है. 7 अक्तूबर को गजा के फलस्तीनी क्षेत्र पर काबिज उग्र राष्ट्रवादी समूह हमास ने इज्राएल के अहम रिहाइशी इलाकों पर अप्रत्याशित हमला किया, जिसके बाद इज्राएल के जवाबी हवाई हमलों में अब तक 6,000 से अधिक लोग मारे गए हैं. इज्राएल की योजना गजा पट्टी पर जमीनी घुसपैठ के साथ हमले तेज करने की है. लिहाजा, हताहतों की संख्या, तबाही और भू-राजनैतिक तनाव में और वृद्धि होना तय है.
कोविड-19 महामारी के कहर से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था पर रूस-यूक्रेन युद्ध की चोट गहरी थी. अहम ऊर्जा उत्पादक (रूस) और प्रमुख कृषि उपज वाले देश (यूक्रेन) के बीच युद्ध से ऊर्जा कीमतों में भारी इजाफा, वैश्विक खाद्य संकट और मुद्रास्फीति पैदा हुई. इससे विकसित दुनिया और उभरती अर्थव्यवस्थाएं दोनों ही उम्मीद से अधिक धीमी गति से बढ़ रही हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) का अनुमान है कि वैश्विक वृद्धि 2022 में 3.5 फीसद से घटकर 2023 में 3 फीसद और 2024 में 2.9 फीसद हो जाएगी, जो ऐतिहासिक औसत 3.8 प्रतिशत से काफी कम है. आइएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, "युद्ध से संकटग्रस्त ऊर्जा तथा खाद्य बाजारों और दशकों में सबसे ऊंची मुद्रास्फीति से निबटने के लिए भारी मौद्रिक सख्ती के बावजूद आर्थिक गतिविधि रुकी नहीं है, धीमी जरूर हुई है. हालांकि बढ़ती विसंगतियों की वजह से विकास धीमा और गैर-बराबर बना हुआ है."
लेकिन अक्तूबर की शुरुआत में प्रकाशित रिपोर्ट इज्राएल-हमास युद्ध के असर से नावाकिफ है. दरअसल, यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जो वैश्विक मुद्रास्फीति 9.2 फीसद तक बढ़ गई थी, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने ऊंची कीमतों पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ा दीं तो 2023 में वह गिरकर 5.9 फीसद पर आ गई. आइएमएफ ने 2024 में मुद्रास्फीति के 4.8 फीसद रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन पश्चिम एशिया में तनाव के कारण इसमें बदलाव हो सकता है और भारत पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है.
वैश्विक असर
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