• प्र. हाल में पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीपफेक के खतरे के प्रति आगाह किया. खतरा कितना बड़ा है और हमें इसकी चिंता क्यों होनी चाहिए?
हम सरकार में कुछ समय से एक परेशान करने वाली घटना में इजाफे से वाकिफ हैं, जो मोटे तौर पर उथल-पुथल और अस्थिरत पैदा करने के मकसद से गलत सूचना, दुष्प्रचार और फर्जी सूचना को हथियार बनाने की कोशिश है. हमने सरकार का यह मिशन बना लिया है कि हमारी सभी नीतियां सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह इंटरनेट के पक्ष में हों. साइबर अपराधों ने एक मायने में पहले की उस धारणा को उलट दिया है कि इंटरनेट और प्रौद्योगिकी भले के लिए है. जब आप फास्ट फॉरवर्ड करते हैं और सभी समस्याओं को आंकते हैं और फिर उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के आविष्कार से जोड़ते हैं, तो आने वाले तूफान की आशंका उभर आती है जो भारी तबाही ला सकता है. एआइ और फर्जी खबरों के घालमेल से डीपफेक की यह घटना ऐसी है जिसके लेकर हम सभी को चिंतित होना चाहिए क्योंकि यह लोगों, समाजों, समुदायों और देशों के लिए भारी विघटनकारी है, हमें माननीय प्रधानमंत्री का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया और राष्ट्रीय जागरूकता पैदा की. हमने पिछले दो वर्षों में फर्जी खबरों के खिलाफ नियम-कानून बनाने की कोशिश की है.
• 2024 का आम चुनाव सामने है. डीपफेक से राजनैतिक दलों को क्या खतरा हो सकता है?
देखिए, फर्जी खबरें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए बड़ी चुनौती हैं. डीपफेक लोगों को गुमराह करने का बहुत ही खतरनाक तरीका है, जो ज्यादा से ज्यादा वीडियो को तवज्जो देने लगे हैं. राजनैतिक ध्रुवीकरण और झूठ की राजनीति में लिप्त बहुत से लोगों के मद्देनजर कल्पना करें कि वह क्या गुल खिला सकता है. यह दरअसल ऐसी माचिस की डिब्बी है, जो भावनाएं भड़काने की चिंगारी है और ऐसी आग भड़का सकती है जिसकी कल्पना भी लोग नहीं कर सकते. इसलिए, फर्जी खबरों के औजारों का जो इस्तेमाल पहले एक समस्या हुआ करती थी, अब डीपफेक के साथ उसका अलग आयाम और पैमाना खुल गया है.
• सरकार फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से क्या करने को कह रही है?
Esta historia es de la edición December 06, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición December 06, 2023 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही