आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का "जन्म" 1956 में डार्टमाउथ यूनिवर्सिटी में हुआ और 2023 में पहली बार इसे आम लोगों के सामने पेश किया गया. रोजमर्रा की जिंदगी में एआइ की तेजी से घुसपैठ और चैटजीपीटी, डीएएलएल-ई और दूसरे लार्ज लैंग्वेज मॉडलों (एलएलएम) की धुआंधार समाचार कवरेज का मतलब है कि हर कोई इन नई तकनीकों को आजमाना चाहता है. लेकिन नौकरियां जाने का डर, पल-पल की निगरानी, कंप्यूटिंग का जलवायु प्रभाव और एआइ के उपयोग की नैतिकता उस उत्साह को कम करती हैं. हम एआइ के साथ अपने भविष्य पर विचार करते वक्त अपनी संस्कृतियों की मौजूदा परंपराओं के साथ संघर्ष करते हैं, इस क्रम में हम वैचारिक वर्चस्व के लिए या तो उनका इस्तेमाल करते हैं या फिर उन्हें सिरे से खारिज कर देते हैं. मैंने अपनी किताब फ्यूचर्स ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: पर्सपेक्टिव्स फ्रॉम इंडिया ऐंड द यूएस (ऑक्सफोर्ड, 2022) में कुछ तरीकों पर चर्चा की है कि कैसे भारतीय और अमेरिकी धार्मिक जीवन एआइ के स्वागत के आड़े आते हैं. मैंने यह पाया है कि एआइ के बारे में हम जो कहानियां बताते हैं वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे इस तकनीक के इस्तेमाल के तरीकों को प्रभावित करेंगी. यह ध्यान में रखना जरूरी है: एक ओर जहां उद्यम पूंजीपति और सीईओ हमें बताते हैं कि एआइ अटल है और यह अपने पहले से निर्धारित भविष्य के आधार पर "विकसित" होता है, वहीं, हम वास्तव में एआइ के बारे में और हमारी अर्थव्यवस्थाओं, नीतियों और रोजमर्रा की जिंदगी में एआइ कैसे फिट बैठता है, इसके बारे में अलग-अलग कहानियां सुना सकते हैं.
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फिर उसी बुलंदी पर
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आखिरकार आया अस्तित्व में
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सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
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शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
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दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
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आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं