भारत में राजनीति की दशा-दिशा संख्याओं से तय होती है, विचारधारा से नहीं. यह सचाई एक बार फिर शीशे की तरह साफ हो गई जब जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार सात साल में दूसरी बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस को धता बताकर उसी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पाले में लौट गए जिसे उन्होंने अभी अगस्त, 2022 में ही छोड़ा था. 28 जनवरी को उन्होंने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नीतीश की इस ताजातरीन पलटी ने राज्य के महागठबंधन को ही चोट नहीं पहुंचाई, कुछ ही महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. चुनाव रणनीतिकार से राजनैतिक कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर कहते हैं, “आइएनडीआइए के मुख्य वास्तुशिल्पियों में से एक को तोड़कर भाजपा ने विपक्ष को मनोवैज्ञानिक स्तर पर सदमा पहुंचाया है."
हालांकि ऐसा नहीं कि नीतीश ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश नहीं की होगी. वे उस महागठबंधन के मुख्य वास्तुशिल्पी थे जिसने अपना नाम इंडियन नेशनलिस्ट डेवलपमेंट इनक्लूसिव एलांयस रखा, भले ही पहले अक्षरों से मिलकर बना उसका छोटा नाम आइ.एन.डी.आइ.ए. (इंडिया) थोड़ा अस्वाभाविक था. यह पटना में सर्कुलर रोड स्थित उनका सरकारी आवास था जहां पिछले जून में इस गुट की 27 पार्टियां एक ही मकसद से इकट्ठा हुई थीं—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भाजपा को केंद्र की गद्दी से उखाड़ फेंकना. रणनीति सीधी-सादी थी: ज्यादा से ज्यादा सीटों पर साझा उम्मीदवार उतारकर भाजपा विरोधी वोटों को एकजुट करना. यहां तक कि कांग्रेस के लिए जगह छोड़ने को अनिच्छुक सहयोगी दलों को भी नीतीश ने यह कहकर मना लिया था कि देश भर में मौजूदगी रखने वाली अकेली पार्टी के बगैर इंडिया गठबंधन चुनावी तौर पर असरदार नहीं हो पाएगा. अपने राज्य में जाति सर्वेक्षण का वादा पूरा करके और देश भर में ऐसे ही सर्वे की मांग को मजबूती देकर उन्होंने उसे एक नया नैरेटिव भी दिया था.
Esta historia es de la edición February 14, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición February 14, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.