अयोध्या के राम मंदिर में बालक राम की प्राण प्रतिष्ठा से बने माहौल को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा चुनाव तक बनाए रखना चाहती है. इस लिहाज से प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तीसरे ही दिन 25 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पश्चिमी यूपी के जिले बुलंदशहर में सिखेड़ा गांव के चांदमारी मैदान पर रैली महज संयोग भर नहीं थी. राजनीति में प्रतीकों और चिन्हों का बड़ा महत्व होता है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री की पहली जनसभा राम मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की कर्मस्थली बुलंदशहर में रखी गई. जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी मंच पर पहुंचे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें खुर्जा में बनी पॉटरी भेंट की जिसपर राम मंदिर उकेरा गया था. इसके बाद भगवान राम की प्रतिमा भी भेंट की गई.
जनसभा में साधु-संत समाज के लोगों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के बीच मोदी ने अपने 31 मिनट के भाषण की शुरुआत वंदेमातरम् से की. लेकिन जैसे ही उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा का जिक्र किया, रैली स्थल जय श्रीराम के उद्घोष से गूंजने लगा. मोदी ने अपने भाषण को किसान से लेकर विकास पर ही फोकस रखा. उन्होंने न केवल 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का शिलान्यास किया बल्कि निर्माणाधीन नोएडा एयरपोर्ट और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का जिक्र करके पश्चिमी यूपी को रोजगार के एक बड़े केंद्र के रूप में उभारने की बात भी कही. भाषण के दौरान मोदी ने जब भी कल्याण सिंह का नाम लिया, जवाब में लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाए.
पश्चिमी यूपी से उठने वाली राजनैतिक लहर का असर पूरे यूपी पर पड़ता है. गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र की सिकंदराबाद विधानसभा सीट पर जनसभा के जरिए मोदी ने कुछ वैसी ही ज्वार पैदा करने की कोशिश जैसा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में दिखा था. तब भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेद्र मोदी ने बुलंदशहर से ही विजय शंखनाद रैली का आगाज किया था. 10 वर्ष बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर बुलंदशहर से चुनावी अभियान का आगाज करके पश्चिमी यूपी में हिंदुत्व और विकास के मिले-जुले एजेंडे से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की.
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