साधारण किसान की 19 वर्षीय बेटी सुमेधा (बदला हुआ नाम) ने राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) की तैयारी करते हुए वर्षों बिताए, इसलिए कि अपने जैसे 20 लाख अन्य युवाओं की तरह उसने भी सपना देखा था कि वह मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेगी और अपनी तथा अपने परिवार की किस्मत बदल देगी. उसके पिता ने बेटी के सपनों की खातिर अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया-अपनी मिल्कियत की इकलौती 1.5 बीघा जमीन उन्होंने गिरवी रख दी. वह उम्मीद परवान चढ़ती दिखाई दी, जब सुमेधा ने कुल 720 में से 620 अंक हासिल कर लिए. दिक्कत यह थी कि दूसरे कहीं बेहतर करते मालूम दिए, जिससे टॉपर की संख्या, जो पहले महज 2-3 हुआ करती थी, छलांग लगाकर 67 पर पहुंच गई. फिर प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप लगने लगे, उसके गृहराज्य में और पूरी प्रक्रिया केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के हवाले कर दी गई.
मगर सिर्फ नीट (एनईईटी) रद्द नहीं हुई. बदकिस्मती ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-एनईटी) को भी नहीं छोड़ा, जो कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर की असिस्टेंट प्रोफेसरशिप की पात्रता तय करती है और अभ्यर्थियों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) प्रदान करती है. इस परीक्षा में करीब 10 लाख अभ्यर्थी बैठे थे. 18 जून को इसके संपन्न होने के 24 घंटे बाद ही इसे रद्द कर दिया गया क्योंकि शक था कि उसका प्रश्नपत्र शायद डार्क वेब पर लीक हो गया था और एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्राम पर बेचा गया था.
इस बीमारी ने एक और परीक्षा पर फिलहाल ताले डलवा दिए-वह थी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (सीएसआइआर-एनईटी). विज्ञान और टेक्नोलॉजी में लेक्चररशिप और जेआरएफ के लिए होने वाली यह परीक्षा 25 और 27 जून के बीच होनी थी और इसमें कोई 1,75,355 अभ्यर्थी बैठने वाले थे. अब वे बेताबी से परीक्षा की अगली तारीखों का इंतजार कर रहे हैं.
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