यह स्वाभाविक भी है क्योंकि डकैतों की असल जिंदगी के गवाह बने चंबल के बीहड़ यहीं पर हैं. मगर पिछले पांच वर्षों में बॉलीवुड ने महसूस किया कि यह सिर्फ घोड़ों पर भागते डकैतों और उनका पीछा करते पुलिसवालों को दिखाने के लिए ही आदर्श स्थल नहीं है, बल्कि शूटिंग के लिहाज से यहां और भी बहुत कुछ है. अब मध्य प्रदेश फिल्मों और ओटीटी शो की शूटिंग के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक बनता जा रहा है. हालिया वर्षों में राज्य में करीब 400 फिल्मों और ओटीटी की आंशिक या फिर पूरी शूटिंग हुई है.
वैसे तो 1950 के दशक में बनी नया दौर, तीसरी कसम और श्री 420 जैसी सदाबहार क्लासिक फिल्मों की थोड़ीबहुत शूटिंग मध्य प्रदेश में हुई थी, मगर 2010 के दशक तक राज्य में फिल्मों की शूटिंग इंदौर, भोपाल और ग्वालियर तक ही सीमित रही. वह तो निर्देशक प्रकाश झा ने मध्य प्रदेश में नई-नई लोकेशन खोजीं और राजनीति (2008) से शुरू करके आरक्षण (2011), चक्रव्यूह (2012) और गंगाजल-2 (2016) जैसी फिल्मों की शूटिंग यहीं पर की. लेकिन मार्च 2020 में आई राज्य सरकार की फिल्म पर्यटन नीति (एफटीपी) एक गेमचेंजर साबित हुई. इसका प्रमुख उद्देश्य एकल खिड़की के जरिए कई तरह की अनुमतियां लेना आसान बनाना था ताकि राज्य में फिल्म शूटिंग सुविधाजनक हो. इसने नौकरशाही के स्तर की दिक्कतों को काफी हद तक दूर कर दिया है.
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