इसकी दो किस्त दी जा चुकी हैं और तीसरी किस्त दशहरा के मौके पर 8 अक्तूबर से भेजी जा रही है. बीते 18 अगस्त को रक्षाबंधन के मौके पर जब इसकी पहली किस्त जारी हुई, भाजपा में अंदरखाने इसको लेकर खासी बेचैनी रही. पार्टी नेताओं ने इसकी खामियां गिनाना शुरू किया, तो वह बैकफायर करने लगा. तिस पर भी बात नहीं बनी, तो सिमडेगा जिले के विष्णु साहू ने इस योजना के खिलाफ हाइकोर्ट में पीआइएल दायर कर दी. प्रार्थी के वकील राजीव कुमार इंडिया टुडे से कहते हैं, “राज्य में 40 फीसद हॉस्पिटल और 60 फीसद स्कूलों में भवन नहीं हैं, पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं, कई स्कूल मात्र एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. ऐसे में इस तरह की योजनाएं राज्य पर आर्थिक बोझ बन जाती हैं. चाहे मंईयां दीदी योजना हो या गोगो दीदी योजना. दोनों बंद होनी चाहिए." राजीव बताते हैं कि वे गोगो दीदी योजना के खिलाफ भी हाइ कोर्ट जाएंगे. दरअसल, भाजपा ने राज्य में सत्ता में आने पर गोगो दीदी योजना लागू करने का ऐलान किया है, जिसके तहत वह महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपए देने का वादा कर रही है.
उधर, मंईयां योजना की प्रक्रिया में तकनीकी खामियों की वजह से बड़ी संख्या में महिलाओं के खाते में पैसे नहीं जा पाए हैं. डेटा ऑपरेटर ने किसी का आधार नंबर गलत दर्ज किया है, तो किसी का बैंक खाता नंबर. मसलन, पश्चिमी सिंहभूम जिले के मेगाहातूबुरू इलाके के फ्रांसिस मुंडा और उनकी पत्नी तुलसी मुंडा ने जनधन योजना के तहत खाता खुलवाया था. मगर नियम के मुताबिक, खाते में 2,000 रुपए नहीं रहने की वजह से वह बंद पड़ा है, जिससे तुलसी के खाते में मंईयां योजना के पैसे नहीं जा पा रहे हैं.
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एक नई धड़कन
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ऊबते अंधेरे, रोते सन्नाटे के राजमहल
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स्मरण एक ऐसी शालीन शख्सियत का जिसने भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के लिए अपनी अलग ही युक्ति निकाली. उन्होंने इस्पात को सपनों में, कारों को क्रांति में और बोर्डरूम को लॉन्चिंग पैड में तब्दील कर डाला. कॉर्पोरेट परोपकार की उन्होंने एक नई परिभाषा गढ़ दी
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अमेठी में दलित शिक्षक हत्याकांड के बाद चौतरफा निशाने पर आई योगी सरकार. लोकसभा चुनाव में पासी मतों के भाजपा से छिटकने का फायदा उठाने में जुटीं दूसरी पार्टियां
बाढ़ और बर्बादी की गंभीर दर्शक यानी सरकार
उतरते सितंबर में उत्तर बिहार में आई भीषण बाढ़ ने सरकारी तैयारियों की पोल खोल दी. पिछले साल अक्तूबर से ही चल रहे तटबंध सुरक्षा अभियान के बावजूद आठ जगह तटबंध टूट गए. ऐसे में सरकारी बचाव और राहत कार्यों की धीमी सवाल उठ रहे. साल भर की बाढ़ पूर्व तैयारियों के रूप में सरकार आखिर करती क्या रही?
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इस ग्रैंड ओल्ड पार्टी को आत्मघाती गतिविधियों के चलते हरियाणा के रूप में एक और हार का सामना करना पड़ा. अगर समय पर पार्टी के अंदरूनी तंत्र को दुरुस्त नहीं किया गया तो महाराष्ट्र और झारखंड में भी उसकी संभावनाएं क्षीण हो सकती हैं
असल चुनौती शुरू होती है अब
इंडिया गठबंधन ने कश्मीर को लेकर तैयार भाजपा की योजनाओं पर पानी फेरा. लेकिन जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित क्षेत्र के दर्जे को देखते हुए वहां के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर पाना उमर अब्दुल्ला के लिए खासा मुश्किल होगा. वहां सत्ता की असली चाभी तो केंद्र सरकार के ही पास
भाजपा का हरियाणा भूचाल
प्रदेश में अवाक करने वाली जीत से भाजपा कार्यकर्ताओं की उदासी टूटी और उनमें जोशोखरोश लौटा, पार्टी को महाराष्ट्र और झारखंड के अगले विधानसभा चुनावों के लिए नई रणनीति का मॉडल मिला
जहरीली हवा पर हवा-हवाई बातें
पिछले छह साल में ऐसा पहली बार हुआ कि सितंबर का महीना खत्म होने से पहले ही दिल्ली की हवा में प्रदूषण तेजी से बढ़ गया. राष्ट्रीय राजधानी से मॉनसून विदा होते ही यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 'पुअर' यानी खराब दिखने लगा, 25 सितंबर को दिल्ली का एक्यूआई 235 (201 से 300 के बीच का स्तर 'पुअर' माना जाता है) पर पहुंच जाने के बाद केंद्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार समेत देश की शीर्ष अदालत भी हरकत में आ गई.
अजित के सामने खड़ा पहाड़
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