किटी पार्टी में सरोज कुछ उखड़ीउखड़ी सी लग रही थी. मीना ने उसे सहज करने के उद्देश्य से पूछा, “अरे सरोज, तुम नितिन के लिए लड़की देखने गई थी न, क्या हुआ? पसंद आई कि नहीं?"
"क्या बताऊं," कहते हुए सरोज ने जो आपबीती सुनाई. उस ने हम सब को हैरत में डाल दिया.
मीना को तो उस पर तरस आ रहा था.
हुआ यों कि सरोज परिवार सहित अपने इंजीनियर एमबीए बेटे नितिन के लिए लड़की देखने गई थी.
लड़की का बायोडाटा और फोटो देख कर वह पहली ही नजर में पूरे परिवार को पसंद आ गई थी, मगर बायोडाटा के साथ लड़की की जन्मकुंडली नहीं थी, इसलिए वे साथ में अपने पंडितजी को भी ले कर गए ताकि जन्मकुंडली आदि वहीं मिलान हो जाए और सबकुछ ठीक रहा तो तुरंत ही इस रिश्ते पर मुहर लगा दी जाए.
लड़की रमा का पढ़ालिखा परिवार इस तरह के ढकोसलों को नहीं मानता था. उस के पिताजी ने कहा, 'हम ने तो रमा की कुंडली बनवाई ही नहीं.'
'कोई बात नहीं. आप बिटिया का जन्मस्थान, तारीख, वर्ष और समय बता दीजिए, कुंडली तो मैं अभी बना देता हूं, पंडितजी ने तुरंत समस्या का समाधान सुझा दिया.
रमा की मां द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पंडितजी ने सारे डाटा अपने लैपटौप में 'कुंडली सौफ्टवेयर' में डाले और हाथोंहाथ रिजल्ट दिखा दिया.
सब खुश थे, क्योंकि उस सौफ्टवेयर के अनुसार, नितिन और रमा के 36 में से 30 गुण मिल रहे थे.
‘इस रिश्ते में कोई रुकावट नहीं है, दोनों की शादी बहुत सफल होगी, पंडितजी ने सब को आश्वस्त किया.
'सुभष्य शीघ्रम,' कहते हुए रमा की मां मिठाई का डब्बा ले आई तो सरोज भी तुरंत अपने पर्स में से शगुन का लिफाफा निकाल कर रमा की तरफ बढ़ी. तभी पंडितजी बोले, 'थोड़ा ठहरिए यजमान, अभी भद्राकाल है. किसी भी तरह का शुभकार्य निषिद्ध है. आप 2-3 घंटे बाद ही यह शगुन बिटिया के हाथ में दीजिएगा."
'क्या बकवास है? हमें इस तरह के पाखंड पर जरा भी यकीन नहीं है,' रमा के पिता ने कहा.
'नितिन, क्या तुम भी यह सब मानते हो?' उन्होंने नितिन की तरफ देखते हुए पूछा.
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