त्योहार का मतलब होता है आपस में खुशियां बांटना. भारत में 100 वर्षों से हिंदूमुसलिम एकसाथ न रहने की बात कर रहे हैं. साल 1930 में पहली बार मुसलमानों ने रहने के लिए अलग पाकिस्तान की मांग की. वहां से ही देश के विभाजन की मांग उठने लगी. इस के बाद दिलों की दूरियां बढ़ने लगीं.
पाकिस्तान - भारत बंटवारे के बाद ये दूरियां अलगाव के अलग ही लैवल पर चली गईं. दोनों ही पक्ष एकदूसरे पर बंटवारे का आरोप लगाने लगे. राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले लोगों ने इन दूरियों को कुरसी तक पहुंचने का रास्ता बना लिया, जिस की वजह से जो परेशानी भारतपाकिस्तान बंटवारे के बाद खत्म हो जानी चाहिए थी वह और भी बढ़ती गई.
वर्ष 2014 के बाद 80 बनाम 20 की बात होने लगी, जिस का असर तमाम जगहों पर पड़ने लगा. ऐसे में जरूरत है कि दिलों को जोड़ने का काम किया जाए. इस त्योहार पर हम अपने धर्म के लोगों से तो मिलें ही, दूसरे धर्म के लोगों से भी मिलने जाएं और, छोटा ही सही पर, एक उपहार उन के लिए ले जाएं. हालांकि कुछ लोग ऐसे हैं जो 25-30 सालों से इस तरह से काम कर रहे हैं पर ऐसे लोगों की संख्या कम है. आज जिस तरह से आपस में खटास बढ़ रही है, आपसी मेलजोल भी बढ़ाना होगा. इस के लिए त्योहार के मौके से अच्छा कुछ भी नहीं है.
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