महसा अमीनी दी जान और बनी आजादी की आवाज
Sarita|October Second 2022
महसा अमीनी की मौत ने ईरान में क्रांति की शुरुआत कर दी है. वहां सड़कों पर उतरी महिलाएं अपने बुर्के, हिजाब उतार रही हैं, अपने केश काट रही हैं और जेल जाने से नहीं डर रहीं. ईरान ही नहीं, दुनियाभर में हिजाब को ले कर अफरातफरी का माहौल रहता है. सवाल यह कि आखिर महिलाओं पर नियंत्रण क्यों?
नसीम अंसारी कोचर
महसा अमीनी दी जान और बनी आजादी की आवाज

ईरान में 22 साल की महसा अमीनी की 16 सितंबर को मौत हो गई. मौत से पहले 3 दिन वे तेहरान के एक अस्पताल में भरती रहीं. डाक्टर कहते हैं कि पुलिस उन को कोमा की हालत में वहां लाई थी. महसा को 13 सितंबर को ईरान पुलिस ने हिरासत में लिया था क्योंकि ईरानी कानून के मुताबिक महसा ने अपने सिर पर हिजाब को सही तरीके से नहीं पहना था. ईरानी कानून के अनुसार सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं को सिर से हिजाब पहनना अनिवार्य है और वह भी इस तरह कि एक भी बाल हिजाब से बाहर नजर न आए.

महसा को यह ड्रैस कोड परेशान करता था. ईरानी कानून के खिलाफ जा कर उन्होंने अपने बाल कटवा लिए थे और अकसर सार्वजनिक स्थानों पर कटे बालों व हिजाब के बगैर आतीजाती थीं. महसा ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत स्क्वेज में रहती थीं, जो इस राज्य का पश्चिमी शहर है, लिहाजा वहां वे मोरल पुलिस की नजर से बची रहीं पर जब वे अपने परिवार के साथ पिछले दिनों तेहरान गईं तो तुरंत मोरल पुलिस की नजर में आ गईं.

तेहरान में उन्होंने हिजाब जरूर पहन लिया था मगर उन के सिर के बाल हवा में उड़ रहे थे. उस दिन वे बेहद खुश थीं. तेहरान की मैट्रो ट्रेन का सफर करने वाली थीं जब पुलिस ने उन्हें सही तरीके से हिजाब नहीं पहनने का आरोप लगा कर हिरासत में ले लिया और उस के बाद महसा अमीनी कभी वापस नहीं लौटीं.

Esta historia es de la edición October Second 2022 de Sarita.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

Esta historia es de la edición October Second 2022 de Sarita.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

MÁS HISTORIAS DE SARITAVer todo
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
Sarita

"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली

'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.

time-read
3 minutos  |
November Second 2024
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
Sarita

पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों

पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.

time-read
7 minutos  |
November Second 2024
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
Sarita

शादी से पहले बना लें अपना आशियाना

कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.

time-read
6 minutos  |
November Second 2024
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
Sarita

ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज

बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.

time-read
3 minutos  |
November Second 2024
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
Sarita

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.

time-read
8 minutos  |
November Second 2024
एमआरपी का भ्रमजाल
Sarita

एमआरपी का भ्रमजाल

एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.

time-read
4 minutos  |
November Second 2024
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
Sarita

कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो

कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.

time-read
6 minutos  |
November Second 2024
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
Sarita

कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश

कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.

time-read
10 minutos  |
November Second 2024
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
Sarita

1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा

2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.

time-read
6 minutos  |
November Second 2024
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
Sarita

अमेरिका अब चर्च का शिकंजा

दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.

time-read
4 minutos  |
November Second 2024