"चीनी कम', 'पा', 'षमिताभ', 'की एंड का', 'पैडमैन' जैसी फिल्मों के निर्देशक आर बाल्की अपने जीवन की पहली फिल्म 'चीनी कम' के वक्त फिल्म समीक्षा की वजह से हुए निजी अनुभवों के आधार पर एक रोमाचंक फिल्म 'चुप: रिवेंज औफ आर्टिस्ट' बनाई है. इस फिल्म में एक सीरियल किलर बड़ी बेरहमी से बौलीवुड फिल्म समीक्षक की हत्या कर उस के माथे पर स्टार रेटिंग अंकित करता है. यह फिल्म 'चुप : रिवेंज औफ आर्टिस्ट' 'प्यासा' (1957) और 'कागज के फूल' (1959) जैसी फिल्मों के सर्जक गुरुदत्त को भी श्रद्धांजलि है.
‘कागज के फूल' की समीक्षा पढ़ने के बाद गुरुदत्त ने कोई फिल्म नहीं बनाई थी और आज कागज के फूल' को क्लासिक फिल्म माना जाता है. वैसे 'चीनी कम' और 'पा' को मिली सफलता के बाद आर बाल्की ने 2016 में अमिताभ बच्चन के साथ धनुष को ले कर फिल्म 'षमिताभ' निर्देशित की थी जिस ने बौक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं मांगा था. बौलीवुड में उन की यात्रा के बारे में जानने के लिए उन से बातचीत की. पेश हैं उनसे बातचीत के अंश :
फिल्म निर्देशक आर बाल्की का मुद्रा एड एजेंसी में रह कर एड फिल्में बनाने से ले कर फिल्म लेखन व निर्देशन तक का लंबा कैरियर है. उन से पूछा कि शुरुआत उन्होंने एड फिल्मों से किस सोच के साथ की थी तो उन्होंने बताया, “मैं ने अपना कैरियर एडवरटाइजिंग एजेंसी मुद्रा से शुरू किया था. वहां मैं ने बहुतकुछ सीखा, कई नएनए प्रयोग किए. एडवरटाइजिंग एजेंसी में रहते हुए मुझे हर बार छोटीछोटी नई कहानी बताने का अवसर मिल रहा था. ऐसी कहानी जो लोगों से बात कर सके, उन के दिलों तक पहुंच सके. यह काम काफी चुनौतीपूर्ण और काफी रोचक होता है. मैं ने 25 से 27 वर्ष तक तरह का काम करते हुए काफी एंजौय किया. उस के बाद मैं ने फीचर फिल्मों की तरफ कदम बढ़ाया पर मुझे नहीं लगता कि एड फिल्म और फीचर फिल्म दोनों अलग हैं.
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