'मेरा भाई मेरा भाई...' का रुदन के साथ बिलखती हुई एक महिला एबुलैंस में रखे डीप फ्रीजर से लिपट कर रोए जा रही थी. यह महिला लगातार रो रही थी. उस का रोना बंद ही नहीं हो रहा था. आंखों से आंसू भी थमने का नाम नहीं ले रहे थ.
हाल ही में इस तरह की एक तसवीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. यह तसवीर कोटा शहर से आई है. इस तसवीर में जो एक एंबुलैंस खड़ी दिखाई दे रही है वह राजस्थान के कोटा शहर के एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी के सामने खड़ी है. एंबुलैंस में एक डीप फ्रीजर रखा है और उस फ्रीजर में 17 साल के अंकुश नाम के युवक का शव रखा हुआ है.
इस डीप फ्रीजर से लिपट, बिलखबिलख कर जो महिला रो रही है वह अंकुश की बड़ी बहन है. अंकुश अपनी 2 बड़ी बहनों के बीच छोटा भाई था. बिहार के सुपौल से अंकुश की बहन, जीजा अमरीश और कुछ परिजन उस का शव लेने कोटा की इस मौर्चरी में पहुंचे थे.
आखिर यह माजरा है क्या, अब उस की ओर ले चलता हूं आप को. काबिलेगौर हो कि बीते दिनों कोटा के तलवंडी इलाके में दोमंजिला पीजी के ऊपर वाले फ्लोर के अलगअलग कमरों में बिहार के सुपौल से आए अंकुश और गया के उज्ज्वल ने खुदकुशी कर ली थी. तलवंडी में बिहार के अंकुश और उज्ज्वल ने जबकि कुंहाड़ी इलाके में मध्य प्रदेश के प्रणव वर्मा ने खुदकुशी की थी. पुलिस के मुताबिक, कोटा में एक ही दिन में खुदकुशी करने वाले 3 छात्रों में से एक अंकुश था.
इन छात्रों ने खुदकुशी क्यों कर ली, इस का जवाब किसी के पास नहीं था. न तो उन पड़ोसियों के पास जो पीजी के करीब रहते थे जिस में 2 छात्रों ने आत्महत्या की. न ही उन छात्रों के पास जो खुदकुशी करने वालों के पीजी में रहते थे या उन के दोस्त थे. किसी के पास कोई सुराग नहीं था जो यह बताता कि आखिर ऐसा हुआ तो हुआ क्यों मृतक अंकुश की बहन तो इस स्थिति में ही नहीं थी कि बात कर सके, कुछ बता सके. उस का तो रोरो कर बुरा हाल हो रहा था.
Esta historia es de la edición January Second 2023 de Sarita.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición January Second 2023 de Sarita.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
एमआरपी का भ्रमजाल
एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.