अभिनय जगत में 55 वर्षों से कार्यरत अदाकारा सारिका ने अ 5 साल की उम्र में अभिनय करना शुरू किया था. बाल कलाकार के तौर पर 15 फिल्में करने के बाद अभिनय से बिना ब्रेक लिए अचानक 15 साल की उम्र में वे राजश्री प्रोडक्शंस की फिल्म 'गीत गाता चल' की हीरोइन बन गई थीं.
55 वर्ष के उन के कैरियर में कई उतारचढ़ाव आए. सारिका ऐसी अदाकारा हैं जिन्हें फिल्म 'परजानिया' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और फिल्म 'हे राम' के लिए सर्वश्रेष्ठ कौस्ट्यूम डिजाइनर के राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.
सारिका ने अभिनय करने के अलावा 35 फिल्मों में कौस्ट्यूम डिजाइनिंग की है. वहीं 2 वर्ष से वे थिएटर पर बैकस्टेज का काम करती आ रही हैं. सारिका ने फिल्म 'कुरुथीपुनाल' में बतौर एसोसिएट डायरैक्टर का भी काम किया था. पूरे 45 वर्षों बाद राजश्री प्रोडक्शंस में उन्होंने फिल्म 'ऊंचाई' से वापसी की. सारिका का दावा है कि बतौर हीरोइन पहली फिल्म के वक्त उन्हें राजश्री प्रोडक्शंस के कर्ताधर्ता रहे ताराचंद बड़जात्या से बात करने में डर लगता था.
हाल ही में सारिका से मुलाकात होने पर उन से फिल्म 'ऊंचाई' के अलावा उन के निजी जीवन के संघर्ष, कैरियर के उतारचढ़ाव, दोनों बेटियों श्रुति हासन व अक्षरा हासन सहित कई मुद्दों पर खुल कर बात हुई. प्रस्तुत हैं अंश.
55 साल की सारिका अपने अभिनय कैरियर में आए टर्निंग पॉइंट्स के बारे में कहती हैं, “मेरे कैरियर में सब से बड़ा टर्निंग पौइंट तब रहा जब मैं ने बासु भट्टाचार्य के साथ फिल्म 'गृहप्रवेश' में काम किया. मैं ने 5 साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू किया था और बिना किसी तरह के ब्रेक के मैं 15 वर्ष की उम्र में सीधे 'गीत गाता चल' से हीरोइन बन गई थी. उस वक्त मुझे ढंग से चलना भी नहीं आता था. पैर फेंकफेंक कर चलती थी.
“बतौर हीरोइन 'गृहप्रवेश' मेरे कैरियर की तीसरी फिल्म थी. जब मैं सैट पर पहुंची तो मुझे देख कर बासु दा ने कहा कि, 'तुम कैसा चलता है? हम सब से पहले तुम को चलना सिखाएगा.' मैं सोच में पड़ गई. मैं ने सोचा कि 2 फिल्मों में तो मैं ऐसे ही चली हूं. अब इस फिल्म में क्या फर्क आ गया?
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