"हिंदुस्तानी हुकूमत सैक्युलर हुकूमत है, मुझे बताओ कि कभी देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की बात कहने वालों पर कार्रवाई करेंगे? इस का मतलब फर्क है. हिंदुओं और सिखों के इंस्पिरेशन का फर्क है. सिख नहीं कर सकते लेकिन हिंदू अपनी बात कर सकते हैं.
"मुझे यह लगता है कि दबाने से कुछ नहीं दबता. इंदिरा गांधी ने यह कर के देख लिया, क्या नतीजा निकला ? अब ये भी कर के देख लें. हम तो हथेली पर सिर रख कर चल रहे हैं. हमें मौत का भय होता तो इन रास्तों पर चलते ही न, गृहमंत्री अपनी इच्छा पूरी कर के देख लें.
"500 वर्षों से हमारे पूर्वजों ने इस धरती पर खून बहाया है. इस धरती के दावेदार हम हैं. इस दावे से हमें कोई पीछे नहीं हटा सकता. न इंदिरा गांधी हटा सकी थीं और न ही नरेंद्र मोदी या अमित शाह हटा सकते हैं, दुनियाभर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे." यह कहना है नएनए है चर्चा में आए अमृतपाल सिंह का.
अरसे बाद पंजाब से फिर अलगाव की बात पूरे दमखम और हुड़दंग के साथ उठी है. अमृतपाल सिंह का नाम रातोंरात दुनियाभर की जबान पर आ गया, नहीं तो लोगों ने यह मान लिया था कि खालिस्तान का मुद्दा इंदिरा गांधी के जमाने में जनून पर था जो ठंडा पड़ चुका है और इस के नाम पर अब कोई फसाद पंजाब में नहीं होगा. यह आखिरकार सभी को सुकून देने वाली बात थी पर अब न केवल अमृतपाल की बातों और वक्तव्यों से बल्कि हरकतों से भी साफ लग रहा है कि उस बोतल का ढक्कन 'किसी ने खोल दिया है जिस में अलग खालिस्तान नाम का जिन्न 80 के दशक के उत्तरार्ध से कैद था.
अमृतपाल ने पिछली 20 फरवरी को जो कहा उसे हलके में न लेने की कई वजहें हैं. खालिस्तान की मांग तो आजादी मिलने के पहले से ही उठने लगी थी लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई अलगाववादी अब हिंदू राष्ट्र के नारों का हवाला देते यह कह रहा है कि उस के पास भी कुछ भी कहने और करने की छूट और शह क्यों न हो जब कट्टर हिंदू भारत में ही हिंदू राष्ट्र की मांग कर सकते हैं. ऐसे में वह सिख खालिस्तान की मांग क्यों नहीं कर सकता. इस सवाल का कोई सटीक जवाब न तो गृहमंत्री अमित शाह दे पाएंगे और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्हें इंदिरा गांधी का हश्र याद है.
Esta historia es de la edición March Second 2023 de Sarita.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición March Second 2023 de Sarita.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन
राज कपूर नेहरूवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यही एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों के सामाजिक बदलावों को परदे पर उतारा.
संतान को ही क्यों दें संपत्ति
राजनीति हो या बिजनैस सही उत्तराधिकारी का चयन ही विरासत को आगे बढ़ाता है. यदि उत्तराधिकारी ढूंढ़ने में लगता है तो समय लगता परिणाम भविष्य में घातक भी साबित होते हैं.
दुर्घटना हो जाए तो
दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.
मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट
मौत के बाद, बजाय शरीर के खाक होने के, व्यक्ति के साथ क्या होता है इस का कोई प्रमाण नहीं. बावजूद हिंदुओं में मृत्यपरांत धार्मिक कर्मकांड भरे पड़े हैं. इस के केंद्र में पंडे हैं जो दानदक्षिणा का धंधा चलाए रखना चाहते हैं.
अधूरा प्यार
अपने अधूरे को पाने की लालसा एक बार फिर मन में बलवती हो उठी थी. लेकिन रोज ने मुझे ऐसा आईना दिखाया कि उस में अपना चेहरा देख मुझे शर्म आ रही थी.
संकट कटे मिटे सब पीड़ा
गाय रोटी खाएगी तो ग्रह दोष मिटेगा, कुत्ते को खिलाओ तो दुश्मन भागेगा. मेहनत से दूर भागने वालों ने तांत्रिकों को भिखारी से करोड़पति बना दिया है, अरे वाह, यह कैसा खेल है, आप भी पढ़िए.
बीमार न कर दें पसंदीदा फूड
बच्चे तो बच्चे, अब बड़े भी जीभ के गुलाम बन गए हैं जो चटपटे खाने की तरफ दौड़ पड़ते हैं. लेकिन ये फूड्स आप को बीमार भी कर सकते हैं.
वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर
रामचरितमानस में जिन औरतों को 'ताड़न की अधिकारी' बता कर वर्ण व्यवस्था का शिकार बनाया गया, वोट व्यवस्था में वही औरतें चुनावी जीत का आधार बन कर वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट कर रही हैं.
घर खरीदने से पहले
अपना घर अपना ही होता है, भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है.