शुभम घर से कालेज जाने के लिए निकल ही रहा था कि पीछे से उस की पड़ोस वाली चाची ने टोक दिया, “अरे शुभम बेटा, कालेज जा रहो हो क्या?" चाची के टोक देने से शुभम एकदम से चिढ़ गया और कोई जवाब न दे कर चलता बना. लेकिन उस का मूड तो औफ हो ही चुका था. पूरे रास्ते वह यही सोचता रहा कि आज उस का पहला पेपर है और चाची ने पीछे से टोक दिया. कहीं कुछ अशुभ न हो जाए. कहीं पेपर खराब चला गया तो क्या करेगा वह सिर्फ शुभम ही क्यों? ज्यादातर लोग इन सब बातों को मानते हैं. घर से निकलते समय किसी के पूछ लेने भर से कि कहां जा रहे हो? अकसर लोग चिढ़ जाते हैं. भले, उस वक्त वे कुछ न बोल पाते हों पर चेहरे पर खिन्नता के भाव स्पष्ट नजर आते हैं.
हमें अपने बड़ेबुजुर्गों से अकसर यह सुनने को मिलता है कि घर से निकलते वक्त अगर कोई टोक दे तो अच्छा शगुन नहीं होता. बिल्ली रास्ता काट दे या कोई छींक दे तो बुरा होता है. ऐसे और भी बहुत से अंधविश्वास हैं जो लोगों के मुंह से या फिर घर के बड़ों द्वारा बताए गए हैं जो हमारे जेहन में घूमते हैं और हम यही सोचते हैं कि हो सकता है ये सच हों. अगर काली बिल्ली रास्ता काटे तो हम पीछे हट जाते हैं या थोड़ी देर रुक जाते हैं, फिर चाहे औफिस के लिए देर ही क्यों न हो जाए जाते समय कोई छींक दे तो हम रुक जाते हैं भले ही हमारी ट्रेन ही क्यों न छूट जाए.
24 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर विकास का कहना है, "सूर्यग्रहण के दिन बुरे ग्रहों को दूर करने के लिए हम भिखारियों को अनाज दान करते हैं ताकि बुरे ग्रहों का प्रभाव दूर हो जाए. इस सूर्यग्रहण में भी जब हम भिखारियों को अनाज दान करने गए, हालांकि इस में मेरी मरजी शामिल नहीं थी, बल्कि अपनी मां के कहने पर मुझे ऐसा करना पड़ा. लेकिन जब मैं भिखारियों को भीख दे रहा था तब किसी ने मेरी जेब काट ली. तब मुझे लगा मां की बात कर अगर मैं भिखारियों को भीख न देता तो आज मेरी जेब न कटती."
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सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
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