![हिंसा के बाद आर्थिक बहिष्कार की नौटंकी हिंसा के बाद आर्थिक बहिष्कार की नौटंकी](https://cdn.magzter.com/1338812051/1694172914/articles/uIEWMsFSk1694418338794/1694418779609.jpg)
'रक्षावधान बंधन आ रहा है. सामान भाई से खरीदें, देश जलाने वाले भाईजान से नहीं,' सोशल मीडिया पर यह अपील अब लगातार लेकिन रुकरुक कर चलेगी. अक्तूबर में कहा जाएगा, 'दीवाली आ रही है, सामान देश को रोशन करने वाले भाइयों से खरीदें, देश जलाने वाले भाइजानों से नहीं.' फिर कुछ दिनों बाद ऐसा ही कोई नया नारा बाजार में ला दिया जाएगा जिस से नफरत का माहौल आबाद रहे और यह भी साबित हो जाए कि धर्म के मूलभूत सिद्धांत सत्य, अहिंसा, शांति, समानता, सद्भाव वगैरह नहीं, बल्कि एकदूसरे से धर्म, जाति, लिंग और गोत्र तक के नाम पर घृणा करना है जिस से दुकानें फलतीफूलती रहें.
रही बात हरियाणा के नूंह और उस के आसपास हुए सांप्रदायिक दंगों, आगजनी, मौतों और तोड़फोड़ सहित मुसलमानों के आर्थिक व सामजिक बहिष्कार की तो ये बातें कतई नई नहीं हैं बल्कि सदियों से की जा रही हैं, जिन के पीछे एक वर्ग विशेष के स्वार्थ होते हैं. हैरानी तो तब होती है जब इस तरह की बातें न की जाती हों और तब जरूर देश देश जैसा नहीं लगता, कहीं कुछ खालीपन सा महसूस होता है.
मणिपुर के बाद इस खालीपन को 31 जुलाई से 3 अगस्त तक की हिंसा ने भरा. तरीका वही पुराना था. हिंदुओं की बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा निकल रही थी कि अचानक माहौल बिगड़ गया. मुख्य सड़क से पहले पत्थरबाजी हुई, दोनों पक्षों की तरफ से भड़काऊ नारे लगे, देखतेदेखते ही दुकानें धड़ाधड़ बंद होने लगीं. लोग भागने लगे. इस मची अफरातफरी में डेढ़ सौ के लगभग वाहनों को आग के हवाले दंगाइयों ने कर दिया. पुलिस वाले, जो गिनेचुने थे, हमेशा की तरह तमाशा देखते रहे. इसी दौरान फायरिंग शुरू हो गई जिस में एक मुसलिम धर्मगुरु सहित होमगार्ड के 2 जवान मारे गए.
चंद घंटों बाद ही राज्य सरकार की मांग पर सुरक्षा बल की टुकड़ियां नूंह पहुंच गईं जिस से स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण वाली हो गई. धार्मिक हिंसा की इस आग की लपटें आसपास के इलाकों फरीदाबाद, पलवल और गुरुग्राम में भी दिखीं. इन शहरों में भी धारा 144 लगाते इंटरनैट सेवाएं बंद कर दी गईं. आरोपप्रत्यारोप लगाए जाने लगे जिन के शोर में सत्य दब कर रह गया.
हिंसा के गुनाहगार
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.