9 अगस्त को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी लोकसभा में इस बात को ले कर आगबबूला हो गईं कि राहुल गांधी ने सदन में फ्लाइंग किस दे कर वहां बैठी सारी महिलाओं का अपमान किया है. दरअसल उस दिन हुआ यह था कि जब राहुल गांधी भाषण दे कर सदन से बाहर निकल रहे थे तो उन के हाथ से कुछ कागज जमीन पर गिर पड़े और जब वे उन कागजों को उठाने के लिए झुके तो पास खड़े भाजपा के सांसद हंसने लगे. राहुल ने उन्हें हंसते हुए देखा और ट्रेजरी बैंच की तरफ हवा में एक फ्लाइंग किस उछाल कर मुसकराते हुए बाहर निकल गए.
लेकिन स्मृति ईरानी ने इसे ऐसे पेश करने की कोशिश की कि राहुल ने वहां बैठी भाजपा सांसद महिलाओं को ही फ्लाइंग किस दिया और इसी बात को ले कर वे नारीवाद के नाम पर चिल्लाने लगीं कि राहुल गांधी ने कितनी नीच हरकत की, उन्होंने अपने खराब आचरण का प्रमाण दिया वगैरहवगैरह. लेकिन सच तो यह था कि मुद्दा कुछ था ही नहीं.
उस दिन सदन में स्मृति ईरानी का वह रूप महिला का रूप नहीं था बल्कि ताकत और सत्ता में चूर केंद्रीय मंत्री का रूप था. इस का जैंडर से उतना ही वास्ता था जितना मछली का पेड़ पर चढ़ने से और चिड़िया का पानी में तैरने से.
जिस वक्त वे सदन में एक फ्लाइंग किस को ले कर देश और ब्रह्मांड की महिलाओं का अपमान बता रही थीं, ठीक उसी समय बृजभूषण शरण सिंह 2 सीट पीछे बैठा हंस रहा था. जब वे मिसोजिनी की बात कर रही थीं, तब असली मिसोजेनिस्ट वहीं बैठा था जिस ने नाबालिग बच्चियों की छाती पर हाथ फेरा, उन से सैक्सुअल फेवर मांगा. बात न मानने पर उन्हें खेल से निकाल देने की धमकी दी. तब इसी बृजभूषण पर इन्होंने क्यों कुछ नहीं कहा?
महिलाओं का अपमान करने वाले इस बृजभूषण सिंह की मिसोजिनी पर उन्हें गुस्सा क्यों नहीं आया? आखिर यह कैसी संवेदना है उन की कि देश की महिलाओं के प्रति जो इतने महीनों में महिला पहलवानों के लिए एक शब्द भी नहीं निकला उन के मुंह से और आज एक फ्लाइंग किस को ले कर इतना बड़ा बवाल मचा रही हैं?
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