शकुंतला की कथा स्त्रियों के साथ अनाचार की पुष्टि
Sarita|December First 2023
हमारे पौराणिक ग्रंथों को आदर्श समाज व्यवस्था देने वाला कहा जाता है जबकि इन ग्रंथों में ऐसी कहानियां हैं जिन्हें आदर्श बिलकुल नहीं कहा जा सकता. ऐसे ही विश्वामित्र और मेनका के संबंधों से जन्मी शकुंतला की कथा है. क्यों यह स्त्रियों के अनाचार की पुष्टि करती है?
प्रियंका यादव
शकुंतला की कथा स्त्रियों के साथ अनाचार की पुष्टि

स साल अप्रैल में ऐक्ट्रैस सामंथा रुथ प्रभु की फिल्म 'शकुंतलम' रिलीज हुई थी. फिल्म में स्वर्ग की अप्सरा मेनका और विश्वामित्र से जन्मी शकुंतला की कहानी को दिखाया गया था. फिल्म की शुरुआत तपस्या कर रहे विश्वामित्र से शुरू हुई. इस तपस्या से डरे इंद्र स्वर्ग की अप्सरा मेनका को विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिए धरती पर भेजते हैं. पौराणिक कथाओं में अप्सराएं स्वर्ग की वे सुंदरियां हैं जो हर किसी को सैक्स सुख देती हैं महाभारत में उर्वशी अर्जुन को उस के साथ इस कारण सैक्स न करने पर श्राप देती है कि, अर्जुन के अनुसार, वह इंद्र, उस के पिता के साथ सोती है. उर्वशी का कहना था कि, वह सभी दादाओं और पोतों को खुश करती रही है, अर्जुन यह कह कर उस का अपमान कर रहा है, वह उसे एक वर्ष तक के लिए किन्नर बन जाने का श्राप देती है.

एक ऋषि विश्वामित्र से संभोग के बाद शकुंतला जन्म लेती है जिसे मेनका धरती पर छोड़ कर स्वर्ग लौट जाती है. जब महर्षि कण्व की नजर उस पर पड़ती है तो वह उसे अपने साथ आश्रम ले आते हैं. कुछ सालों बाद राजा दुष्यंत उस आश्रम में आते हैं और तब उन की मुलाकात शकुंतला से होती है. वे उस से गंधर्व विवाह कर लेते हैं और वह गर्भवती हो जाती है. कुछ समय बाद अपने सैनिकों के साथ उसे लेने आएंगे, ऐसा वादा कर के वे अपने राज्य लौट जाते हैं. काफी समय तक जब राजा दुष्यंत उसे लेने नहीं आते तो गर्भवती शकुंतला उन के पास खुद चली जाती है. लेकिन राजा दुष्यंत उसे पहचानने से इनकार कर देते हैं.

उठते सवाल

गर्भवती शकुंतला का क्या हुआ, राजा दुष्यंत ने उसे क्यों नहीं पहचाना, फिल्म 'शकुंतलम' यही कहानी बताती है. फिल्म देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि यह फिल्म वही कहानी बताती है जो अब तक हम देखतेसुनते आए हैं. इस फिल्म ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि किसी की ऐसी हिम्मत नहीं जो धर्मग्रंथों की नैतिकता और असलियत पर सवाल उठाए. इस फिल्म ने भी वैदिक देवता इंद्र, पौराणिक ऋषि विश्वामित्र, मेनका, कण्व, राजा दुष्यंत के चित्रों को महान बना कर प्रस्तुत किया है, जबकि इन में से हरेक का चरित्र बेहद घटिया और विवादस्पद ही नहीं है, उस से आज भी आम जनता गलत सबक सीखती है और औरतों को वह इस्तेमाल करने की वस्तु मात्र मानती है.

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