![चुनावी नतीजे धर्म की धमक चुनावी नतीजे धर्म की धमक](https://cdn.magzter.com/1338812051/1703491125/articles/-UNNyq0Sr1703588694935/1703588975885.jpg)
धर्म बहुत बड़ी राजनीतिक शक्ति है। या अब राजनीति बहुत बड़ी धार्मिक शक्ति हो गई, यह तय कर पाना कभी कोई मुश्किल काम नहीं रहा. 3 दिसंबर को आए 5 में से 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे खास इस धारणा की पुष्टि करते हैं. नतीजों के बाद हार और जीत का विश्लेषण करना ज्यादा आसान काम होता है.
नतीजों में हिंदी पट्टी के 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तमाम अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी अप्रत्याशित तरीके से बाजी मार ले गई और सकते में पड़े कांग्रेसी व सियासी पंडित गिनाते रह गए कि दरअसल भाजपा का संगठन बूथ लैवल तक मजबूत था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों पर लोगों ने भरोसा किया और कांग्रेस हवाहवाई राजनीति करती रही.
इन में से तीसरी वजह सियासी तौर पर हकीकत के ज्यादा नजदीक लगती है लेकिन इसे बारीकी से अभी भी कम ही लोग समझ पा रहे हैं. चुनाव किस या किन मुद्दों पर लड़ा गया जिन के चलते वोटिंग के आखिरी दिनों में जीत भाजपा की झोली में जा गिरी, इस के लिए एक सनातनी संत राम भद्राचार्य का चुनाव के पहले दिया एक बयान काफी अहम है जिस में उन्होंने कहा था कि यह चुनाव धर्म की लड़ाई है जिस में भाजपा जीतेगी.
जगतगुरु के खिताब से नवाज दिए गए राम भद्राचार्य जन्मांध हैं जिन की दूरदृष्टि का कायल हर कोई रहता है. वे कई भाषाओं के जानकार हैं. वे निहायत ही लुभावने और पेशेवर अंदाज में भागवत और रामकथा बांचते हैं. इस से भी ज्यादा अहम बात यह कि वे राम मंदिर मुकदमे के अहम गवाह हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की इस शंका को सनातनी धर्मग्रंथों के हवाले से दूर किया था कि राम दरअसल उसी स्थान पर जन्मे थे जिसे उन की जन्मभूमि बताया जा रहा है.
धर्म का कार्ड और मोदी
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.