मां बनना हर औरत का एक खूबसूरत सपना होता है. 20 से 30 साल की उम्र मां बनने के लिए सब से अच्छी है. मगर कई दफा स्त्री कैरियर या सेहत की वजह से कुछ साल बाद मां बनना चाहती है. तब तक उसकी उम्र अधिक हो चुकी होती है और स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के चांसेस कम हो जाते हैं. मगर यदि इस खूबसूरत सपने को अपने हिसाब से जीने और उम्र की बंदिशों से दूर इस का फैसला लेने का हक महिला को मिल जाए तो बात ही क्या है.
आज चिकित्सा विज्ञान की तरक्की ने यह भी संभव कर दिखाया है. अब महिलाएं बड़ी उम्र में भी एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं. वे चाहें तो उम्र की मजबूरी उन के आड़े नहीं आएगी. इस के लिए उन्हें सही उम्र में अपने एग फ्रीज कराने होते हैं. बौलीवुड की एकता कपूर से ले कर मोना सिंह, तनीषा मुखर्जी, पूर्व मिस वर्ल्ड डायना हेडन, राखी सावंत और प्रियंका चोपड़ा तक ने अपने एग्स फ्रीज करवाए हैं. प्रियंका चोपड़ा साल 2022 में सरोगेसी के जरिए मां बनी. उस ने 30 साल की उम्र में ही अपने एग्स फ्रीज करा दिए थे.
दरअसल, बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं की प्रजनन शक्ति घटने लगती है जबकि आजकल कई ऐसी महिलाएं हैं जो कैरियर, सेहत या फिर परिवार से जुड़ी किसी समस्या के चलते अपने परिवार को आगे बढ़ाने का फैसला थोड़ा समय ले कर सोचसमझ कर करना चाहती हैं.
एग फ्रीजिंग महिलाओं की फर्टिलिटी को बनाए रखने का एक नया तरीका है. फ्रोजन भ्रूण से फ्रोजन अंडों तक के बदलाव ने हरेक महिला को एक अवसर दिया है कि वह कभी भी गर्भवती हो सकती है.
यदि किसी स्त्री को उस के अंडाशय को हटाने या उसे नुकसान पहुंचाने वाली सर्जरी से गुजरना पड़ रहा है तो वह भी इस प्रक्रिया से पहले अपने अंडे फ्रीज करा सकती है. एग फ्रीजिंग का फायदा उन महिलाओं को भी होता है जिन्हें कैंसर की वजह से कीमोथेरैपी और रेडियोथेरैपी जैसे ट्रीटमैंट से गुजरना पड़ रहा है. इस ट्रीटमैंट की वजह से अकसर अंडे खत्म हो जाने के कारण महिलाएं भविष्य में मां नहीं बन पातीं. ऐसे में उन्हें एग फ्रीजिंग का काफी लाभ मिल सकता है.
क्या है एग फ्रीजिंग
Esta historia es de la edición March Second 2024 de Sarita.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición March Second 2024 de Sarita.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
बौलीवुड और कौर्पोरेट का गठजोड़ बरबादी की ओर
क्या बिना सिनेमाई समझ से सिनेमा से मुनाफा कमाया जा सकता है? कौर्पोरेट जगत की फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती हिस्सेदारी ने इस सवाल को हवा दी है. सिनेमा पर बढ़ते कौर्पोरेटाइजेशन ने सिनेमा पर कैसा असर छोड़ा है, जानें.
यूट्यूबिया पकवान मांगे डाटा
कुछ नया बनाने के चक्कर में मिसेज यूट्यूब छान मारती हैं और इधर हम 'आजा वे माही तेरा रास्ता उड़ीक दियां...' गाना गाते रसोई की ओर टकटकी लगाए इंतजार में बैठे हैं कि शायद अब कुछ खाने को मिल जाए.
पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
एक्सरसाइज करते समय घबराहट
ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
क्या बच्चा पैदा कर उसे पढ़ालिखा देना ही अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करना है? बच्चा पैदा करने और अपनी जिम्मेदारियां निभाते उसे सही भविष्य देने में मदद करने में जमीन आसमान का अंतर है.
बढ़ रहे हैं ग्रे डिवोर्स
आजकल ग्रे डिवोर्स यानी वृद्धावस्था में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जीवन की लंबी उम्र, आर्थिक स्वतंत्रता और बदलती सामाजिक धारणाओं ने इस ट्रैंड को गति दी है.
ट्रंप की दया के मुहताज रहेंगे अडानी और मोदी
मोदी और अडानी की दोस्ती जगजाहिर है. इस दोस्ती में फायदा एक को दिया जाता है मगर रेवड़ियां बहुतों में बंटती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल बन जाती है और यही गौतम अडानी व नरेंद्र मोदी की दोस्ती के मामले में लग रहा है.
विश्वगुरु कौन भारत या चीन
चीन काफी लंबे समय से तमाम विवादों से खुद को दूर रख रहा है जिन में दुनिया के अनेक देश जरूरी और गैरजरूरी रूप से उलझे हुए हैं. चीन के साथ अन्य देशों के सीमा विवाद, सैन्य झड़पों या कार्रवाइयों में भारी कमी आई है. वह इस तरफ अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता. इस वक्त उस का पूरा ध्यान अपने देश की आर्थिक उन्नति, जनसंख्या और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की तरफ है.
हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.