
अगर आप के विचारों को सब न मानें तो वे देशद्रोही हो जाएंगे ? अगर ऐसा होगा तो जानवरों और इंसानों में फर्क क्या बचेगा. बिरसा मुंडा और भगत सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत से लड़ाई लड़ी थी तो क्या भगत सिंह भी गदूदार हो गए ? समाज पत्थर की तरह स्थिर नहीं होता, वह बदलता रहता है.
और जब से भाजपा की सरकार बनी है, एकएक संगठन को निशाना बनाया जा रहा है. अभी एक झूठे एनकाउंटर में लोगों को मारा गया और एक फैक्ट फाइंडिंग टीम के वहां पहुंचने से ही पहले उसे गिरफ्तार कर लिया गया. दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कालेज में स्टूडेंट्स और टीचर्स को मारापीटा गया. 'ये मेरे पति के ज्ञान से डरते हैं. ब्लास्ट के आरोपी स्वामी असीमानंद को तो आप ने निर्दोष करार दे दिया. केंद्र और राज्य सरकार मल्टीनैशनल कंपनियों को आदिवासी क्षेत्र खनन के लिए देने को यह साजिश कर रही हैं.'
आज से कोई 7 साल पहले यह और ऐसी बहुत सी बातें एक इंटरव्यू में वसंध कुमारी ने कही थीं. वसंध उन प्रोफैसर साईबाबा की पत्नी हैं जिन्हें हाल में ही बौंबे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने बरी किया है. उम्रकैद की सजा काट रहे प्रोफैसर साईबाबा को साल 2017 में गढ़चिरोली कोर्ट ने दोषी करार दिया था.
उन पर और दूसरे 5 लोगों पर आरोप था कि वे प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी और उस के ग्रुप आरडीएफ यानी रिवोल्यूशनरी डैमोक्रेटिक फ्रंट के सदस्य थे. इन पांचों महेश तिर्की, हेम मिश्रा, प्रशांत सांगलीकर, विजय तिर्की और पांडु नरोटे (जिन की मौत 22 अगस्त, 2022 को जेल में स्वाइन फ्लू से हो गई थी) को निचली अदालत ने यूएपीए के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी क्योंकि इन के कथित रूप से माओवादियों से संबंध थे.
साईबाबा और दूसरे आरोपी हाईकोर्ट गए थे तो 14 अक्तूबर, 2022 को जस्टिस रोहित देव और अनिल पानसरे की बैंच ने सुनवाई के बाद अभियुक्तों को रिहा करने का आदेश दिया था.
कानूनी चक्रव्यूह में एक और अभिमन्यु
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मुसलिम समाज के पास कितनी वक्फ संपत्ति है और उसे किस तरह उस से छीना जाए, मसजिदों पर पंडों पुजारियों को कैसे बिठाया जाए, इस को ले कर लंबे समय से कवायद जारी है. इस के लिए एक्ट में संशोधन के बहाने भाजपा नेता जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में जौइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन किया गया, जिस में दिखाने के लिए कुछ मुसलिम नेता तो शामिल किए गए लेकिन उन के सुझावों या आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

घर में ही सब से ज्यादा असुरक्षित हैं औरतें
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से बताती है कि महिलाओं के लिए घर ही सब से असुरक्षित स्थान बन चुका है. इस असुरक्षा का समाधान समाज और सरकार की ओर से समग्र दृष्टिकोण अपनाने से ही संभव हो सकता है.

मेहमान बनें बोझ नहीं
घर में मेहमान आते हैं तो चहलपहल बनी रहती है. लेकिन मेहमान अगर मेहमाननवाजी कराने के लिए आएं तो मेजबान के पसीने छूट जाते हैं और उसे चिड़चिड़ाहट होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि मेहमान कुछ एथिक्स का ध्यान रखें.

कहां जाता है दान का पैसा
उज्जैन के महाकाल मंदिर दर्शन घोटाले की एफआईआर अभी दर्ज ही हो रही थी कि नई सनसनी वृंदावन के इस्कौन मंदिर से आई कि वहां भी एक सेवादार करोड़ों का चूना लगा कर भाग गया. ऐसी खबरें हर उस मंदिर से आएदिन आती रहती हैं जहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. जाहिर है, यह भीड़ भगवान को पैसा चढ़ाने ही आती है जिसे मंदिर के सेवादार झटक लें तो हैरानी किस बात की.

मुफ्त में मनोरंजन अफीम की लत या सिनेमा की फजीहत
बौलीवुड की अधिकतर फिल्में बौक्स ऑफिस पर लगातार असफल हो रही हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर विचार करने की जगह यह इंडस्ट्री चुनावी नेताओं की तरह बीचबीच में फ्रीबीज की घोषणा कर देती है. इस से हालात क्या सुधर सकते हैं?

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जीवन का सफर हर मोड़ पर नए अनुभव और सीखने का मौका देता है. पार्टनर का साथ नहीं रहा, बढ़ती उम्र है, लेकिन जिंदगी खत्म तो नहीं हुई न. इस दौर में भी हर दिन एक नई उमंग और आनंद से जीने की संभावनाएं हैं.