![बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रुपैया बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रुपैया](https://cdn.magzter.com/1338812051/1718018854/articles/FqvuZgvtM1718091844037/1718092293053.jpg)
एक कहावत है 'बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रुपैया' आज की स्थिति में न्यायसंगत है. हजारों के मकान जब करोड़ों के हो जाएं तब सब से बड़ा रुपया हो जाता है. जिस की आंच में सारे रिश्ते धीरेधीरे जल जाते हैं. असल जिंदगी में भी आत्मीयता रिश्तों की नहीं, पैसों की होती है. आज 95 प्रतिशत लोग उन्हीं से आत्मीयता बढ़ाते हैं जिनके पास उन्हें कुरसी, सत्ता व आर्थिक बल होता है. लेकिन क्या यह न्यायसंगत है?
आज इस मायावी संसार में माया का ही बोलबाला है. आदर, सम्मान, रिश्तेनाते सब गौण हो चुके हैं और यह माया का खेल हमें संयुक्त परिवार में भी नजर आता है. संयुक्त परिवार में पार्टिशन का हक हमेशा से रहा है और आज भी यह विवादों की जड़ है.
रेनू शादी के बाद संयुक्त परिवार में बड़ी बहू बन कर आई. ननदों की शादी के बाद उस ने पैसों के लिए झगड़ना शुरू कर दिया. देवर जब कमाने लगा तो उस ने देवर के पैसों का भी खूब उपयोग किया. उस के सासससुर ने भी इस में उस का साथ दिया. देवर की शादी के बाद रेनू के पैतरे बदलने लगे. उस की नजर घर की संपत्ति पर पड़ी, फिर धीरेधीरे सामदामदंडभेद की नीति अपना कर रेनू ने सबकुछ अपने कब्जे में करना शुरू कर दिया और सब को घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. यहां तक कि उस ने देवरदेवरानी को जान से मारने तक की कोशिशें भी कीं जिस से तंग आ कर उन्होंने अपना घर छोड़ दिया.
सास की मृत्यु के बाद जब लड़कियों ने संपत्ति में हिस्सा मांगा तो उन का घर में आना बंद करवा दिया. सपाट कह दिया कि तुम संपन्न परिवार में हो तो अपने मातापिता का कर्ज उतारो. यह सुन कर लालची ननद ने भी अपने पैर पीछे खींच लिए. उस के बाद उस ने अपने कामचोर पति के कान भरे व अपने ससुर का फायदा उठाया. सबकुछ हासिल करने के बाद उसने बुढ़ापे में लाचार ससुर को घर से बाहर कर दिया. देवर, जिस ने पूरे परिवार के लिए सबकुछ किया, संपत्ति व स्नेह दोनों से बेदखल रहा. इसे संस्कार ही कहेंगे कि ऐसे समय में भी वह अपने परिवार व पिता को संभाल रहा है हालांकि उस का मोल उसे व उस की पत्नी को भी नहीं मिला.
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.