मोदी ने इस तरह के कदम को देश के विकास के लिए हानिकारक बताया। हालांकि, इन टिप्पणियों की वजह से आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को गुजरात के प्रत्येक परिवार को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा करने से नहीं रोका जा सकता। गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि पंजाब की तुलना में गुजरात में इस तरह की सब्सिडी देना आसान है। पंजाब में इन दिनों ‘आप’ सत्ता में है। इसकी वजह यह है कि गुजरात के सार्वजनिक वित्त की स्थिति उत्तर भारत के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है।
वित्त वर्ष 2021-22 (संशोधित अनुमान) में गुजरात सरकार का कर्ज इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 17.8 प्रतिशत था और चालू वित्त वर्ष (बजट अनुमान) में इसके कुछ हद तक कम होने का अनुमान है। इससे यह घटकर 17.8 प्रतिशत रह सकता है। दूसरी ओर, पंजाब सरकार का कर्ज वित्त वर्ष 2022 (संशोधित अनुमान) में 49.46 प्रतिशत था और वित्त वर्ष 2023 (बजट अनुमान) में मामूली रूप से घटकर 48.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। हालांकि, प्रस्तावित सब्सिडी निश्चित रूप से गुजरात का अनुत्पादक खर्च बढ़ाएगी।
गुजरात के ऊर्जा विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस्तेमाल की श्रेणियों में क्रॉस सब्सिडी देने के बाद, राज्य वितरण कंपनी (डिस्कॉम), गुजरात ऊर्जा विकास निगम (जीयूवीएनएल) द्वारा लगभग 1.3 करोड़ उपभोक्ताओं को 300 यूनिट बिजली देने की वार्षिक लागत अनुमानतः सालाना 7,500 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगी और निजी बिजली वितरण कंपनियों के लिए यह इससे अलग 1,000-1,200 करोड़ रुपये रहेगी।
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