वित्त वर्ष खत्म होने को है और इस समय कर बचाने की तमाम जुगत भिड़ाई जा रही होंगी। कर देनदारी कम करने के लिए कई लोग बीमा पॉलिसी खरीदने की भी सोच रहे होंगे। उन्हें पहले ही पता होना चाहिए कि बीमा पॉलिसियों पर कितना कर बचाया जा सकता है और कैसे बचाया जा सकता है। पिछले साल आए बजट में इन नियमों को काफी बदल दिया गया था।
नियमों में बदलाव
जीवन बीमा पॉलिसियों से प्राप्त आय को आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) के तहत कुछ शर्तों के साथ कर से छूट दी गई थी, चाहे प्रीमियम की रकम कुछ भी क्यों न हो। मगर 1 अप्रैल, 2023 से सालाना 5 लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाली पॉलिसी पूरी होने पर मिलने वाली रकम पर कर वसूली शुरू कर दी गई है। सिंघानिया ऐंड कंपनी की पार्टनर ऋतिका नैयर ने कहा, 'बीमाधारक की मौत होने पर मिलने वाली रकम पहले की ही तरह कर से पूरी तरह बरी रहेगी। 31 मार्च, 2023 तक जारी बीमा पॉलिसियों पर भी बदले नियमों का कोई असर नहीं होगा।' उन्होंने कहा कि यह नियम मुख्य रूप से पारंपरिक योजनाओं पर लागू होता है जो यूनिट लिंक्ड बीमा सह निवेश (यूलिप) योजनाएं नहीं हैं।
मान लीजिए कि किसी व्यक्ति के पास ऐसी तीन पॉलिसियां हैं, जिनमें से प्रत्येक का प्रीमियम 2 लाख रुपये है। तो कुल मिलाकर प्रीमियम की रकम 5 लाख रुपये की सीमा से अधिक है। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स के पार्टनर अंकित जैन ने कहा, 'जिन पॉलिसियों का कुल प्रीमियम 5 लाख रुपये या इससे कम है, उन्हें भुनाते समय कर छूट का लाभ पहले की तरह मिलता रहेगा। ऊपर दिए गए उदाहरण में केवल एक पॉलिसी से प्राप्त रकम पर ही कर चुकाना होगा।'
यूलिप के लिए नियम
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