कश्मीर में इस बार चुनावी माहौल बदला हुआ है। राज्य को विशेष दर्जा देने वाली अनुच्छेद 370 हटने और उसके बाद परिसीमन ने सारे समीकरण उलट-पलट दिए हैं। राज्य में 7 मई से तीन चरणों में होने वाले आम चुनाव में शिया सुन्नी समीकरण और राज्य का विशेष दर्जा ही मुख्य कारक होंगे। राजनीतिक दल इसी आधार पर अपने उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं।
बदले हालात में इस बार फारुख अब्दुल्ला या उनके बेटे उमर अब्दुल्ला श्रीनगर सीट से लोक सभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। नैशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने इसके बजाय पूर्व कैबिनेट मंत्री और विख्यात शिया धर्मगुरु आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वहीद पारा से होगा। 'शियाइज्म इन कश्मीर-ए हिस्ट्री ऑफ सुन्नी-शिया राइवलरी ऐंड रिकॉन्सिलिएशन' पुस्तक के लेखक हकीम समीर हमदानी कहते हैं, 'वहीद और मेहदी दोनों ही उम्मीदवार राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं और 2019 के बाद बदले हालात को लेकर विचारों के मामले में समाज में दोनों की एक जैसी छवि है।'
केंद्र में 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के बाद संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया और राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो भागों में बांट कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। उसके बाद से राज्य में विधानसभा चुनाव भी नहीं हुए हैं।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कल
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जेप्टो का आईपीओ अगले साल आने के आसार
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कच्चे तेल एवं पेट्रोल-डीजल निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर खत्म
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गतिरोध टूटा, संविधान पर होगी चर्चा
शीतकालीन सत्रः सभी दलों के नेताओं के साथ बिरला की बैठक में खुला चर्चा का रास्ता