बैंक ऑफ अमेरिका की अध्यक्ष और कंट्री हेड (भारत) काकू नखाते कहती हैं, ‘वैश्विक स्तर पर आपका जिस क्षेत्र में दबदबा है, आपको उसमें ही अपनी पारी खेलनी है। अगर भारत में आपकी कोई भी प्रमुख वैश्विक योजना अपनाई जा सकती है तब निश्चित रूप से आपको इसका लाभ होगा। भारत दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तैयार हो रहा है ऐसे में पूंजीगत आवश्यकताएं और वित्तीय जरूरतें बढ़ने ही वाली हैं।’
बार्कलेज बैंक के सीईओ और प्रमुख (निवेश बैंकिंग भारत) प्रमोद कुमार ने कहा, ‘सभी कारोबारी संस्थाओं को प्राथमिकताएं तय करनी होती है क्योंकि प्रबंधन का दायरा और संसाधन सीमित हैं। आपको अपने मजबूत पक्ष के साथ कोशिश करनी होती है। संस्थागत बैंकिंग या थोक बैंकिंग में आपको हमेशा वैश्विक संस्थान होने का एक फायदा मिलता है लेकिन रिटेल स्थानीय स्तर की पहल है। इसमें वास्तव में आप कुछ भी वैश्विक स्तर की चीजें नहीं जोड़ रहे हैं। बेहतरीन तकनीकी समाधान की पेशकश करने में सक्षम होने वाले बड़े निजी बैंकों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में थोड़ा अंतर है।’
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महाकुंभ: 1.65 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे
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दिल्ली : सीएजी रिपोर्ट मामला
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वर्ष 2025 में निदेशक मंडलों का एजेंडा
नया साल यानी 2025 उथल-पुथल भरा रह सकता है। ऐसे में निदेशक मंडलों (बोर्ड) पर अपनी कंपनियों को इस नए साल में नई चुनौतियों से उबारने की जिम्मेदारी होगी।
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रुपये की विनिमय दर में स्थिरता अनिवार्य नहीं
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वर्ष 2023 में 6 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद पिछले साल कंपनियों ने पुनर्खरीद पेशकश पर कम रकम खर्च की। सरकार ने कर बोझ कंपनियों से निवेशकों पर डाल दिया। इस कारण इस खर्च में कमी आई। वर्ष 2024 में 48 कंपनियों ने 13,423 करोड़ रुपये के शेयर पुनः खरीदे। यह रकम 2023 में इतनी ही संख्या वाली कंपनियों की शेयर पुनर्खरीद राशि से कम है। तब उनकी राशि 48,079 करोड़ रुपये रही थी।