कहा-बजट भाषण में किसी राज्य का उल्लेख नहीं होने का मतलब अनदेखी नहीं
एक सप्ताह पहले पेश केंद्रीय बजट के संदर्भ में विपक्षी दलों के विरोध की सबसे बड़ी दलील यह थी कि बिहार व आंध्र प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों को आवंटन तो दूर, उनका नाम तक नहीं लिया गया, क्योंकि मोदी सरकार अपनी स्थिरता के लिए जदयू और तेलुगु देसम पार्टी के समर्थन पर निर्भर है। मंगलवार को लोस में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को लेकर पुराने पन्ने पलटते हुए विपक्ष के इस आरोप को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा, बजट भाषण में किसी राज्य के नाम का उल्लेख नहीं होने का अर्थ यह नहीं होता कि उसके साथ भेदभाव हुआ है। सीतारमण ने 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के 10 वर्षों के बजट भाषणों में राज्यों के उल्लेख के आधार पर विपक्ष को नसीहत दी कि आप दोहरा रवैया नहीं अपना सकते। 2009-10 के बजट में 26 राज्यों का जिक्र नहीं किया गया था। इनमें उप्र व बिहार भी शामिल हैं। उन्होंने पूछा- क्या तब इन राज्यों के साथ भेदभाव हुआ था। क्या जिन राज्यों का नाम नहीं लिया गया था, उन्हें पैसा नहीं मिला।
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