अतः हम कह सकते है की हिन्दी एक समृद्ध भाषा हैं। भारत की राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने में हिन्दी भाषा का बहुत बड़ा योगदान हैं। एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है। बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है। जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। भारतेन्दु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिंदी का जनक कहा जाता है। जिन्होंने हिंदी, पंजाबी, बंगाली और मारवाड़ी सहित कई भाषाओं में अपना योगदान दिया था।
भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद 1953 से सम्पूर्ण भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाते लगा है जो हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाता है। पिछले 71 सालों से हम प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस मनाते आ रहे हैं। इस वर्ष भी मनायेगें। यदि हम हिंदी भाषा के विकास की बात करें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले सौ सालों में हिंदी का बहुत विकास हुआ है और दिन-प्रतिदिन इसमें और तेजी आ रही है। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है जिसे देवभाषा भी कहा जाता है। माना जाता है कि हिंदी का जन्म भी संस्कृत भाषा से हुआ है। भारत में धर्म, परंपराओं और भाषा में विविधता के बावजूद यहां के लोग एकता में विश्वास रखते हैं। भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। इसीलिए हिंदी भारत की सबसे प्रमुख भाषा है।
Esta historia es de la edición September 13, 2024 de Dakshin Bharat Rashtramat Chennai.
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