भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 106 ने अपने कड़े प्रावधानों के कारण भारत में काफी विवाद उत्पन्न किया है। इस धारा में चिकित्सा पेशेवरों और ड्राइवरों की लापरवाही के कारण मृत्यु होने पर सजा के कड़े प्रावधान किए गए होने से काफी विरोध का सामना करना पड़ा है।
डॉक्टरों के लिए, बढ़ी हुई सजा और चिकित्सा लापरवाही को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है ड्राइवरों के लिए, घटनाओं की तुरंत रिपोर्ट न करने के लिए कठोर दंड को अव्यावहारिक और संभावित रूप से अन्यायपूर्ण माना जा रहा है।
भारतीय न्याय संहिता को 1 जुलाई 2024 से संपूर्ण भारत देश में लागू कर दिया गया है। हमारे देश में अभी तक भारतीय दंड संहिता (IPC) लागू था, जिसके तहत आपराधिक मामलों को दर्ज किया जाता था और दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को दंडित किया जाता था। लेकिन अब भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyaya Sanhita) बदल दिया गया है। इस कानून में किसी भी प्रकार की लापरवाही ( Negligence) से होने वाली मौतों को बहुत ही गंभीरता से लिया जाता है, अक्सर देखा जाता है कि कई बार किसी व्यक्ति के द्वारा की गई लापरवाही या जल्दबाजी किसी मासूम व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन जाती है। ऐसे ही अपराधों का जल्द से जल्द निपटान करने व दोषी व्यक्ति को सख्त से सख्त सजा (Punishment) देने के प्रावधान बीएनएस धारा 106 में किए है।
पहले लापरवाही के कारण होने वाली मौत के अपराध के लिए आईपीसी की धारा 304ए के तहत कार्यवाही की जाती थी। परन्तु अब ऐसे आपराधिक मामले को BNS Section 106 के तहत दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।
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