पंजाब के बरनाला जिले के बजिदा कलानी के 60 वर्षीय किसान सुखपाल सिंह संधू बहुत परेशान हैं। उनके खेत में पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुना खाद डालने के बाद भी धान के पौधों की लंबाई नहीं बढ़ रही। उन्होंने आसपास के कृषि विशेषज्ञों को खेत दिखाया, फिर जिसने जो सलाह दी, उसे मान कर खेत में खाद और दवा भी डाली। फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ। इसी तरह की समस्या से हरियाणा में पानीपत जिले के उरलाना खुर्द गांव के किसान प्रीतम सिंह भी गुजर रहे थे। उन्होंने भी कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर अपनी समस्या बताई। तमाम उपाय किए, पर कोई लाभ नहीं हुआ। धान की फसल में बौनेपन का कारण कोई भी खोज नहीं पा रहा था।
इधर, एक के बाद एक कई किसानों के खेतों में यह बीमारी नजर आने लगी। हरियाणा, पंजाब ही नहीं, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों से भी शिकायतें मिलने लगीं। स्थानीय वैज्ञानिक इस बीमारी का कारण नहीं खोज पाए तो केंद्र की चिंता बढ़ गई। प्रभावित राज्यों में धान की फसल में 5 से 20 प्रतिशत तक बौनेपन की बीमारी देखी जा रही है।
केंद्रीय टीम की रिपोर्ट
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