प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अक्तूबर को इंडिया मोबाइल कांग्रेस के दौरान देश में 5जी सेवाओं के आरंभ की घोषणा की। दूरसंचार के क्षेत्र में यह एक बड़ा पड़ाव है। खासकर 2जी, 3जी और 4जी के दौरान देश जहां प्रौद्योगिकी के लिए विदेशों पर निर्भर रहा, वहीं 5जी के संदर्भ में यह अधिकांश मामलों में आत्मनिर्भर होता दिख रहा है। इस आधुनिकतम दूरसंचार प्रौद्योगिकी को आम भारतीय तक पहुंचाना आसान काम नहीं है, लेकिन देश में ऐसा दूरसंचार ढांचा तैयार किया जा चुका है जो इस चुनौती के समाधान में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। तेज रफ्तार दूरसंचार संपर्क से लेकर आधारभूत ढांचे के प्रसार और उपकरणों के विनिर्माण से लेकर किफायती दूरसंचार दरों तक के लिए सभी संबंधित हितधारक आतुर दिखाई देते हैं विशेषकर, केंद्र सरकार, दूरसंचार उद्योग और विनिर्माण कंपनियां। अगले कुछ वर्षों में 5जी भारत में विकास को गति देने वाली महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभरेगी। इसकी बदौलत जितने और जिस किस्म के अवसर उभरने की संभावना है, उनकी ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि 5जी तकनीक सिर्फ तेज रफ्तार इंटरनेट ही नहीं देगी, बल्कि वह जिंदगगियां बदलने की शक्ति रखती है।
अर्थव्यवस्था में योगदान
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में 5जी की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। 2035 तक यह कुल मिलाकर एक ट्रिलियन डॉलर तक की आर्थिक हलचल पैदा करेगी। तात्पर्य यह कि इससे इतने बड़े परिमाण में आर्थिक अवसर, रोजगार, कारोबार, राजस्व आदि उत्पन्न होंगे। जाहिर है, यह सामान्य दूरसंचार प्रौद्योगिकियों से अलग महत्व रखती है। अक्सर जब इस तरह की भविष्योन्मुखी घटना घटती है तो पूर्वाग्रह ग्रस्त पश्चिमी देशों के मीडिया में सवाल उठता है कि क्या भारत जैसा विकासशील देश इस तरह की तकनीकों का लाभ उठाने की स्थिति में है?
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