समसामयिक और धर्मकार्य है सहकार
Panchjanya|November 06, 2022
कर्णावती में पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद में अमूल के प्रबंध निदेशक आर. एस. सोढ़ी ने सहकारिता के विभिन्न पहलुओं को सामने रखा और बताया कि कैसे देश के विकास में सहकार की महत्वपूर्ण भूमिका है। ईमानदारी, सत्यनिष्ठा के संस्कार को सहकार का मूल बताते हुए नई पीढ़ी को सहकारिता से जोड़ने की रूपरेखा पेश की
समसामयिक और धर्मकार्य है सहकार

कर्णावती में पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित साबरमती संवाद में सहकारिता के बड़े नाम अमूल के एमडी आर. एस सोढ़ी ने सहकारिता को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण विकास मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि सहकारिता अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख एस (स्माल फार्मर, स्माल ट्रेडर और स्माल कंज्यूमर) को आपस में जोड़ती है और आय की असमानता को कम करती है और साझा स्वामित्व देती है। सहकारिता का अर्थ है स्रोत, वितरण और उपभोग से जुड़े छोटे-छोटे लोगों को आपस में जोड़ कर सबकी उन्नति। सबको काम भी मिले, शोषण भी न हो, एकाधिकार भी न आए, गुणवत्ता भी बनी रहे। सत्र का संचालन पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने किया। 

चालीस वर्षों से अमूल से जुड़े श्री सोढ़ी ने बताया कि 40 से वर्ष पहले अमूल का कारोबार 112 करोड़ रुपये था जो पिछले वर्ष 61 हजार करोड़ रुपये रहा। बीते 20 वर्षों में जो विकास दर रही है, यदि उससे 20-30 प्रतिशत कम मान कर चलें तो भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 में अमूल का कारोबार 18 लाख करोड़ रुपये होगा। यह है सहकार की शक्ति। आज डिजिटल, ऑटोमेशन और अन्य प्रौद्योगिकी उपलब्ध है। इनका लाभ उठाते हुए भारत के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-छोटे कारीगरों को जोड़कर सहकारी संस्था बनाकर विकसित भारत का सपना पूरा किया जा सकता है।

सहकारिता एक संस्कार

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