तकनीकी और रणनीति बड़ी चुनौती
Panchjanya|November 13, 2022
आजादी के 75 साल बाद आंतरिक समस्याओं पर अब भी बहुत काम करना बाकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फरीदाबाद में आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर में न केवल इस पर शीघ्र कदम उठाने की बात कही, बल्कि एक देश-एक पुलिस वर्दी और सीमा पार अपराध से निपटने के लिए साझा कदम उठाने के सुझाव भी दिए
प्रकाश सिंह
तकनीकी और रणनीति बड़ी चुनौती

रियाणा में बीते माह दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें प्रदेशों के मुख्यमंत्री, मंत्रियों के अलावा केंद्र शासित राज्यों और विभिन्न प्रदेशों के वरिष्ठ ह पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चिंतन शिविर को संबोधित किया। फरीदाबाद के सूरजकुंड में 27-28 अक्तूबर को अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित इस शिविर का मुख्य उद्देश्य था देश की आंतरिक सुरक्षा के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियो से निबटने के लिए नीतियां निर्धारित की जाएं।

इसमें संदेह नहीं कि आज ऐसे चिंतन शिविर की आवश्यकता है, क्योंकि कई दशकों से आंतरिक सुरक्षा की समस्याएं चली आ रही हैं और उनका समाधान अभी तक नहीं हो सका है। जैसेपूर्वोत्तर में आजादी के बाद से ही कहीं न कहीं छोटे-बड़े विद्रोह होते रहे हैं। इनमें नगा समस्या सबसे बड़ी है। विद्रोही नगाओं के साथ समझौता भी हुआ था, परंतु उसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया। नक्सल समस्या 1970 में शुरू हुई थी, लेकिन करीब है। केंद्रीय केंद्रीय गृह मंत्री 50 साल बाद भी इसका समाधान नहीं हुआ है। ने जल्द ही इस समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है।

गले की फांस बनती समस्याएं

इसी तरह, कश्मीर समस्या करीब 30 साल से चली आ रही है। ऐसी कई समस्याएं दशकों से गले की फांस बनी हुई हैं, जिनका समाधान ढूंढने की जरूरत है। आंतरिक सुरक्षा की समस्या इतने लंबे समय से इसलिए चली आ रही है, क्योंकि पहले की सरकारों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कोई नीति ही नहीं बनाई । हर प्रगतिशील देश में हर समस्या पर शोध होता है और उसी आधार पर समस्या का समाधान किया जाता है। दुर्भाग्य से हमारे देश में यह परंपरा रही है कि हर सरकार अपने दृष्टिकोण के अनुसार स्थिति का आकलन करती है। इसका परिणाम यह होता है कि जब सरकारें बदलती हैं तो नीतियां भी बदल जाती हैं और समस्या वहीं की वहीं रह जाती है। हम दूरगामी नीति नहीं अपना पाते । इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम भी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति प्रतिपादित करें और इसके अंतर्गत समस्याओं का समाधान करें।

Esta historia es de la edición November 13, 2022 de Panchjanya.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

Esta historia es de la edición November 13, 2022 de Panchjanya.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

MÁS HISTORIAS DE PANCHJANYAVer todo
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
Panchjanya

शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता

रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे

time-read
2 minutos  |
March 12, 2023
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
Panchjanya

शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!

वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !

time-read
2 minutos  |
March 12, 2023
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
Panchjanya

कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की

कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे

time-read
3 minutos  |
March 12, 2023
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
Panchjanya

फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा

अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

time-read
3 minutos  |
March 12, 2023
होली का रंग तो बनारस में जमता था
Panchjanya

होली का रंग तो बनारस में जमता था

होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश

time-read
3 minutos  |
March 12, 2023
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
Panchjanya

आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन

भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

time-read
4 minutos  |
March 12, 2023
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
Panchjanya

नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा

नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

time-read
3 minutos  |
March 12, 2023
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
Panchjanya

सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल

त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा

time-read
4 minutos  |
March 12, 2023
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
Panchjanya

जीवनशैली ठीक तो सब ठीक

कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया

time-read
5 minutos  |
March 12, 2023
नाकाम किए मिशनरी
Panchjanya

नाकाम किए मिशनरी

भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई

time-read
2 minutos  |
March 12, 2023